अगर मैं घोड़ा होता
कितने नमो से जाना जाता
अश्व, घोटक, तरंग, बाजी
ना जाने क्या क्या कहलाता
अगर मैं घोड़ा होता,हर जगह चर्चा में होता
खेल और जंग के मैदान में,अपनी परचम लहराता
और साथ ही किसी शहजादी के बारात में
चार चांद भी मैं लगा आता
अगर मैं घोड़ा होता, अपने इतिहास पर इतराता
लक्ष्मी बाई का "बदल" और महाराणा का "चेतक" कहलाता
रणभूमि के शौर्य की अपनी दास्तां
गर्व से हर दिन तुम्हे सुनता
अगर मैं घोड़ा होता
तो कभी दंतकथाओं में बाबा भारती का "सुलतान" कहलाता
और कभी " लकड़ी की काठी काठी का घोड़ा" ये गीत गुनगुनाता
और कभी समुंद्र तट पर सैर करा
लोगो का मन बहलाता
मेहनत और ईमानदारी के ज़िद पर अड़ा होता
हर चुनौती के पथ पर डट कर खड़ा होता
काश मैं घोड़ा होता ,
तो इंसान से इंसानियत में बड़ा होता।।
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