उफ्फ वो पहला कॉलेज का दिन आज भी मोनिका के चेहरे पर मुस्कुराहट ले आता है..
गर्ल्स स्कूल के बाद गर्ल्स कॉलेज से ही बी एस सी करके जब एम एस सी करने कोएड कॉलेज में पहुँची तो कैसा अजीब लगा था उसे..
तो शुरुआत कुछ यूं हुई कि मोनिका ने 12th तक कि पढ़ाई गर्ल्स स्कूल से की..उसके बाद अडोस पड़ोस की जानकारी और रिव्यु के आधार पर पास में ही खुला नया नया गर्ल्स कॉलेज पिताजी ने जॉइन करवा दिया..
वो क्या है ना..अब हर कोई तो उस समय गूगल देवता की शरण जाता नही था,जाता कैसे घर मे केवल एक मोबाइल फोन वो भी बटन वाला..
उस फ़ोन को कोई भाई बहन डर से हाथ ना लगाता, लगता था हाथ लगाते ही खराब हो जाएगा।
आजकल देखो 2 साल के बच्चे यूट्यूब वीडियो देखते हुए ऐड तक स्किप कर देते है।
खैर,गर्ल्स कॉलेज में तो लड़को के दर्शन दुर्लभ थे ही, वैसे भी लड़को से कोई खास बोलचाल ना होती थी..मम्मी पापा की सख्त हिदायत जो थी..
"सुनो मोनी, यहां के सब लड़के एक नंबर के नालायक है किसी से कोई मतलब रखने की जरूरत नही है..समझ गई"?
अब इस 'समझ गई' में कौन कौन सी धमकियां छुपी है आप समझ ही सकते हो।
जब मोनिका ने एम एस सी में एडमिशन लिया तो छोटा भाई कॉलेज के पहले दिन उसे छोड़ने गया।।
जी हाँ.. छोटा भाई जो केवल उम्र में छोटा था..बाकी हर एंगल से बड़े भाई से कम नही था।
मोनिका जैसे ही कॉलेज के गेट में घुसी, उसे ऐसे लगा मानो अलग ही दुनिया मे आ गई हो।
हे भगवान!! इतने सारे लड़के..मोनिका को लगा यही से उल्टे पांव भाग ले..
भाई बोला" चल तू अपनी क्लास देख जाकर मैं ऑफिस में होकर आता हूं"
मोनिका ने खुले मुँह के साथ कहा"पर यहां तो इतने सारे लड़के है"
"हा हा हा, तो लड़को को कहां भेज दु मोटी.. इन्ही के साथ पढ़ना है अब तुझे..चल चल जल्दी देखकर आ"
मोनिका धड़कते कदमो के साथ कॉलेज में अंदर की तरफ चल दी
हाय राम यहां तो सब लड़के लडकिया एक साथ बैठे है,एक दूसरे को हाथ मार मारकर बात कर रहे हैं.. ओहहो!इतनी सारी क्लासेज.. तीन मंजिला बिल्डिंग..कैसे मिलेगी मेरी क्लास?
सोचते हुए आगे बढ़ी..किससे पता करू?
तभी एक लड़की किताबे लाते हुए दिखी..
"हेलो एक्सक्यूज़ मी..एम एस सी फर्स्ट ईयर किस तरफ है?"
"सेकंड फ्लोर.. दाई तरफ. पहली क्लास.." छोटा सा जवाब दे वो आगे बढ़ गई।
मोनिका धीरे धीरे क्लास की तरफ बढ़ी, जैसे ही क्लास में घुसी तो देखा लडकिया कम लड़के ज्यादा..हे ईश्वर कैसे पार करूँगी ये सागर..?
क्लास में जातें ही एक लंबा चौड़ा लड़का मोनिका की तरफ बढ़ा
"हैलो my self, Lokesh.. फ्रेंड्स कॉल मी लकी..whats your good name प्लीज्"
इस अचानक हुए इंट्रोडक्शन से मोनिका घबरा गई..एक तो लड़का वो भी इतने पास आकर बात कर रहा था..ऊपर से एकदम अनजान..
हकलाते हुए बोली"गुड गुड, मेरा नाम..मोना..नही मोनी..मतलब मोनिका है..वैसे सब मुझे मोनिका ही कहते है..
उहहूहूं..अंदर से मोनिका का दिल ऐसे ही रो रहा था. कहाँ फंस गई मैं.. एम एस सी भी किसी गर्ल्स कॉलेज से करा देते पितामह..
वो लड़का मुस्कुराया ओर बोला"आप शायद कुछ घबरा रही है"
जिस तरह उसने मुस्कुराकर ये बात बोली मोनिका के अंदर की एगोइस्टिक मोनी जाग गई
"जी नही..वो जरा तबीयत खराब है बस.."
"ओह्ह,आप मेंसेस से है..its ok.. बैठ जाइए"
ये बात सुनकर मोनिका को रामायण को वो सीन याद आ गया जिसमें सीता जी पृथ्वी से गुहार लगाती है..इस समय मोनिका के मन मे भी यही चल रहा था..हे!माँ भगवती पृथ्वी देवी मुझे अपनी गोद मे स्थान दे..
कितने बेशर्म लड़के है यहां के..अरे लड़कियों की तबीयत क्या तभी खराब होती है?
तभी एक लड़की आगे बढ़ी ओर उस लड़के से बोली "सुन लकी, आज मै जरा डाउन हूं प्लीज कैंटीन तक जा रही हूं सर आए तो सम्भाल लेना"
"Ok ठीक है"लकी ने पूरे आत्मविश्वास से जवाब दिया
ओर यहां मोनिका गश खाने को तैयार थी..पापा किस कॉलेज में भेज दिया..सीधे मंदिर से डिस्कोथेक में आ गई लगता है।
धीरे धीरे समय बीत गया..आज मोनिका फाइनल ईयर में है..वो भी बदल गईं है..पर कॉलेज का वो पहला दिन आज भी उसके लिए खास है..
उस समय पर खुद को मासूम समझना और बाकी स्टूडेंट्स को बेशर्म.. ये सोचकर भी उसे हँसी आती है .
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