मां सरस्वती मां सरस्वती , मुझे ज्ञान दो मुझे ज्ञान दो।
मुझे शक्ति दो सम्मान दो, मुझे ज्ञान दो मुझे ज्ञान दो।
तुम शंख वेद सुसज्जिता, अपराजिता अपराजिता।
मुझे बुद्धि का वरदान दो, मुझे ज्ञान दो मुझे ज्ञान दो।
तुम श्वेत वस्त्र धारिणी, सब संकटो की हारिणी।
मुझे ज्ञान का यूँ प्रकाश दो, मुझे ज्ञान दो मुझे ज्ञान दो।
तुम्ही मात्रा तुम ही विसर्ग मां, तुम्ही धरा तुम ही स्वर्ग मां
मन अंधकार संहार दो,मुझे ज्ञान दो मुझे ज्ञान दो
तुम साहित्य तुम संगीत मां, तुम पक्षियों का गीत मां
मिठास का स्वर दान दो, मुझे ज्ञान ज्ञान दो
राम ही राम है राम ही सीता
राम ही रामायण और गीता
राम ही कृष्ण है राम ही राधा
राम नाम दिन सब कुछ आधा
राम नाम ने रावण तारे
राम प्रिय हैं हनुमत प्यारे
राम नाम में शक्ति अपार
राम नाम करे सागर पार
राम चरण ने अहिल्या तारी
राम बसे हर नर और नारी
राम राम मयसब जग जानी
राम का जग में कोई ना सानी
राम नाम बिनु सब कुछ सुना
राम का नाम है राम से दूना
मन से रावण जो दे निकाल
राम बसे उस मन के द्वार
राम अर्थ मर्यादा संयम
राम भाव भक्ति का संगम
राम नाम बसा श्रद्धा प्रेम
दोनों भाव प्रभु राम की देन
रामस्वरूप है भव्य विशाल
राम कृपा ना मारे काल
राम हेतु सब मनुज समान
राम शस्त्र शर बान कमान
राम ही मोहक राम ही शीतल
राम ही सुंदर राम ही जल थल
राम ही आदि राम ही अंत है
राम का छोर ना राम अनंत है
राम ही भक्त है राम ही भगवन
राम बिछड़ना राम ही संगम
राम ही पूर्व राम ही पश्चिम
राम ही उत्तर नाम ही दक्षिण
राम कहानी राम ही गायन
राम ही वीणा राम ही वादन
राम ही शोर है राम ही शांति
राम ही सत्य है राम ही भ्रांति
राम मरुस्थल राम ही उपवन
राम ही मृत्यु राम पुनर्जन्म
राम गति है राम अचल है
राम नाम तो सदा अविरल है
राम ही चर है राम अचर है
राम नाम तो अजर अमर है
राम बूढ़ापा राम ही यौवन
राम ही प्रोन है राम ही बचपन
राम परमात्मा राम ही आत्मा
राम विश्व और राम विश्व आत्मा
राम भूख है राम अन्न है
राम विशाल है राम सूक्ष्म है
राम ही ज्ञानी राम ही दानी
राम प्रिय जो ना अभिमानी
राम प्रभु है अंतर्यामी
सत्य सदा प्रभु राम की वाणी
राम ग्रंथ है राम वेद है
राम प्रिय तुलसी नैवेद्य है
राम एक है राम अनेक है
राम अचूक है राम नेक है
राम सा पुत्र ना राम सा भाई
राम महिमा शिव शंकर गाई
राम अयोध्या राम ही राजा
राम करे सब पूर्ण काजा
राम ही क्रय राम ही विक्रय
राम सबल और राम ही निर्भय
जो जन राम नाम गुण गावे
संकट उसके निकट ना आवे।।
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