रिश्तों से बड़ी भावनाएं

एक अनोखा रिश्ता

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 13 Jul, 2020 | 1 min read

राधा की शादी के बाद पहला रक्षाबंधन आने वाला था, बहुत ही चाव से भाई के लिए राखी लेने मार्किट जा रही थी।

निकलते हुए उसने अपनी सासु माँ छाया जी से पूछा" मम्मी जी, आपके लिए भी लेकर आनी है ना राखी"?

सासु माँ ने बहुत ही ठंडे शब्दो मे जवाब दिया"नही,तुम अपने लिए ले आओ"

राधा को लगा शायद मम्मी जी को अपनी पसंद से लानी होगी।

राधा राखी लेकर वापस आई तो उसे छाया जी के सुबकने की आवाज़ बालकनी से आ रही थी..वो शायद फोन पर किसी से बात कर रही थी।

राधा बालकनी की तरफ बढ़ी फिर ये सोचकर कि कहीं ये ना लगे कि, वो छुपकर बात सुन रही है वो वापस मुड़ गई।

अंदर आकर उसने राकेश से बात करने की कोशिश की"सुनो वो मम्मी जी किसी से बात करके रो रही है शायद, क्या हुआ?क्या।मैंने कोई गड़बड़ की"?

राकेश ने पैरो से सॉक्स निकालते हुए उन्हें जूतों में फंसाया और जूतों को हाथ मे लेकर शू रैक की तरफ बढ़ गए।

"आपने जवाब नही दिया..वो मम्मी जी"?

"तुम्हारी कोई बात नही है.."इतना कह वो अलमारी खोल कपड़े निकलने लगे

ये हो क्या रहा है, किश्तों में जवाब देने की बजाय साफ साफ क्यों नही बता रहे..राधा ने बहुत कोशिश की पर राकेश के चेहरे पर एक निर्लिप्त भाव के अलावा कुछ नही दिखा.. क्या एक माँ का यूँ छुपकर रोना बेटे के हृदय पर कोई प्रभाव नही छोड़ रहा।

शायद वो अभी अभी इस घर मे आई है और कुछ बातें उसके दायरे से बाहर हो इसलिए उसे नही बताया जा रहा..

इन सब विचारों को झटक राधा मायके जाने की खुशी को दोबारा जीने लगी थी..बैग लगाकर बार बार चेक करना, राखी को देखकर बार बार सोचना ये स्वास्तिक वाली रवि को पसन्द आएगी..

शादी को ज्यादा समय नही हुआ था, शादी की भागदौड़ में सब रिश्तेदारों को मिल भी नही पाई, बस ये पता था कि सासु माँ का एक भाई है..

लेकिन वो ये नही समझ पा रही थी कि राखी पर प्रोग्राम कैसे रहेगा?पहले मामा जी आएंगे, या वो राखी बांधने जाएगी?

"कैसे पूछूं"? सोचती हुई राधा छाया जी के कमरे की तरफ चल दी।

अंदर गई तो, छाया जी अधलेटी होकर tv देख रही थी, राधा को देख वो सीधी होकर बोली"सब तैयारी कर ली जाने की"

"जी,वो मैं ये पूछने आई थी की मामा जी के आने का क्या है?

"कुछ नही हैं, तुम अपने हिसाब से प्रोग्राम बना लो,"

"जी मतलब"

"कुछ नही, वो नही आता.. बस जाओ अब"

राधा ने गौर से छाया जी का चेहरा देखा, झुंझुलाहट में एक दर्द छिपा था..आज तो राकेश से बात करनी ही होगी।

शाम को राकेश ऑफिस से आकर बैठा, राधा पानी और नाश्ता देकर बराबर में बैठ गई

"क्या बात है राधा, आज पास में बैठ गई वरना तो नाश्ता देकर ऐसे भागती हो जैसे नाश्ते की जगह तुम्हे खा जाऊंगा"

"तुम हमेशा छेड़ते हो, ये अच्छी बात नही है..अब जाऊंगी मायके तो एक महीने से पहले नही आने वाली"

"एक महीने, मैं तो एक दिन भी ना छोड़ू मैं तो..राखी बांधकर वापस आ जाना तुरन्त"

"ओहो जी, रक्षाबंधन पर पूरा दिन मायके के नाम..कोई बहन होती तब समझते तुम इस दिन का महत्व"

"अच्छा जी..चलो ठीक है बाबा आराम से रहकर आना"

"उम्म, सुनो आपके मामा जी क्यों नही आ रहे?ना मम्मी जी जा रहीं है"

"देखो राधा पूरी कहानी सुनाने का कोई फायदा नही, बस इतना जान लो कि मामी को मामा का यहां आना या मम्मी के लिए कुछ करना पसंद नही है..शुरू शुरू में मामा जी आतें थे..लेकिन फिर उनके घर मे लंबे समय तक क्लेश रहता..यहां तक कि मामी ने एक बार मम्मी को फोन करके उल्टा सीधा बोल दिया..तो पापा इतने नाराज हुए की उन्होंने मामा जी से सब सम्बन्ध तोड़ लिए और मम्मी को भी मना किया की वो कोई बात ना करे इस बारे में.."

"तबसे अब तक सब कुछ खत्म हो चुका है..लेकिन कभी कभी मामा जी फोन जरूर करते है..तो मम्मी भावुक हो जाती है..लेकिन भाई के परिवार में क्लेश ना हो इसलिए खुद को समझा लिया उन्होंने"

राधा सांस रोके सब सुनती रही.."ओह ये तो बहुत ही दुख की बात है.."

"हम्म पर क्या कर सकते है..?"इतना कह राकेश बाथरूम चला गया

राधा बैठी हुई इन विचारों में खोई हुई थी कि तभी फ़ोन बज उठा

"हेलो राधा बेटा"

"हेलो पापा..कैसे हो आप"?

"मैं ठीक हूं,और जब मेरी बेटी मेरे पास आ जायेगी तो और भी ठीक हो जाऊंगा"

"हा हा हा..ये सही है"

"और बताओ सब ठीक है, बहन जी कैसी है अब उनके चक्कर बन्द हुए अब"?

"जी अब ठीक है..लेकिन..."

"लेकिन क्या"?

राधा को समझ नही आता कि वो अपने पापा को बताए कि नही..फिर ये सोचकर कि शायद पापा कुछ हल दे सके'राधा शुरू से अंत तक सब कुछ सुनील जी को बता देती है।

सारी बातें सुनकर सुनील जी राधा सेकुछ कहते हैं जिसे सुनकर राधा खुश हो जाती है..पर कहीं ना कहीं उसे डर भी लगा कि पता नही सब इस चीज़ को एकसेप्ट करेंगे भी की नही

रक्षाबंधन वाले दिन राधा खुशी से चहकती हुई घूम रही है, छाया जी के चेहरे पर उदासी हैं जिसे छुपाने की वो भरसक प्रयत्न कर रही है।

राधा ने छाया जी के पास जाकर उन्हें एक साड़ी देते कहा"मम्मी जी ये साड़ी आपके लिए, प्लीज् आज त्यौहार है पहन लीजिए"

छाया जी, राधा का मन नही दुखाना चाहती थी, बेशक उनके लिए त्यौहार की रौनक चली गई थी..पर शादी के बाद बहु के पहले त्यौहार पर वो उदासी नही फैलाना चाहती थी..इसलिए वो साड़ी पहन अच्छे से तैयार हो गई।

10.30 बजे छाया जी बोली"रवि आया नही अभी तक?

"जी आने वाला होगा थोड़ी देर में" राधा ने जवाब दिया

ठीक 11 बजे गेट पर गाड़ी का हॉर्न सुनाई दिया, छाया जी ने राधा को आवाज देते हुए कहा" राधा देखो तो शायद रवि आया है"?

राधा ने अंदर से ही जवाब दिया"मम्मी जी मैं बाथरूम में हूं, रवि का फ़ोन आया है वो तो शाम तक आएगा"

"अच्छा" इतना कह धड़कते दिल के साथ छाया जी दरवाजे की तरफ चली

दरवाजा खोला तो सामने राधा के पापा सुनील जी खड़े थे

"अरे भाईसाहब आप, रवि आने वाला था ना"?

"जी रवि ही आएगा, पर वो अपनी बहन के पास आएगा मैं अपनी बहन के पास आया हूं"

"जी, मतलब मैं समझी नही"

"देखिए मैंने आपको हमेशा बहन बोला है और आपने मुझे भाईसाहब, अब मेरी अपनी तो कोई बहन है नही..तो खून की जगह भावनाओं को अहमियत देते हुए मैं आपसे राखी बंधवाने आया हूं"

"ज..जी मैं..मुझे कुछ समझ नही आ रहा..ऐसे कैसे मैं आपको राखी"?

"क्यों नही छाया?..पीछे से छाया जी के पति की आवाज आई

"लेकिन हम तो समधी.."?

"तो क्या हुआ?अगर तुम राधा को बेटी की तरह रखती हो और बेटी कहती हो तो क्या राकेश और राधा भाई बहन हो जाएंगे.. नही ना.. क्योंकि भावनाएं ज्यादा बड़ी होती है..रिश्ते नही"

"पापा जी सही कह रहे है मम्मी जी"राखी का थाल लेकर आती हुई राधा बोली

छाया जी बहुत भावुक हो गई..कई साल बाद राखी को हाथ लगाया था..सबके चेहरे पर एक आत्मिक शांति और सुकून था

राखी बांधते हुए छाया जी के हाथ कांप रहे थे..जैसे ही उन्होंने राधा के पापा को मिठाई खिलाई, मिठाई खिलाते हुए वो फफक फफक कर रो पड़ी।

राधा के पापा ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा"अब आप रोना नही बहन जी..कोई कुछ कहे तो मुझे बताना..आपका भाई सब सम्भाल लेगा.."

इतना सुनते ही सब हँस पड़े, राकेश ने हँसते हुए कहा"अच्छा हुआ पापा आपने बहू को बेटी मानने वाला उदाहरण दिया वरना तो मैं भी कन्फ्यूजीआ गया था.."

इस बार और जोर का ठहाका लगा..राधा ने शादी के बाद अपना पहला रक्षाबंधन यादगार बना दिया था..अपनी सासु माँ को एक नया रिश्ता देकर


सच्ची घटना पर आधारित




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rekha shishodia tomar

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonnu Lamba · 4 years ago last edited 4 years ago

    रिश्तो को अलग पहलू से दिखाती कहानी

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