प्यारी बहू

एक प्यारी सी कहानी

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 05 Jun, 2020 | 1 min read

सभी लोग गाड़ी से उतरे..रिया सर झुकाए आँखे बचाए सीधे अंदर चली गईं..

अमिश ने देखा और समझ गया..लेकिन अभी कुछ कर नहीं सकता बाद में आराम से बैठ के समझाएगा..

नीलिमा जी भी बहु की स्थिति से वाकिफ थी, पर आज तक वो अपने पति से अपने लिए कुछ नहीं कह पाई तो 7 महीने पहले आई बहु के लिए कैसे आवाज उठाए..

राजेश जी सबसे आखिरी में उतरे और उतरते हुए बोले.."काफी लेट हो गया है अब मुझे सोना है तो कोई डिस्टर्ब मत करना..और अमिश परसो सुबह जाकर बैंक से पासबुक fiil करवा लेना.."

"और हाँ रिया का वोटर आई डी भी बनवाना है..वो मैं देख लूंगा"

नीलिमा जी सोचने लगी "ये कभी नही बदलेंगे..कड़वी बात कहकर सामने वाले का दिल दुखा देते है,फिर पल में ही इतने नार्मल बातें करेंगे मानो कुछ हुआ ही ना हो

अमिश भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था,पर अभी तो रिया से बात करनी है पहले..

कमरे में पहुँचा तो रिया शून्य में बैठी निहार रही थी..

"आज बहुत सुंदर लग रही थी तुम फंक्शन में..मन किया वहीं गले लगा लू..फिर सोचा सब्र का फल मीठा होता है,क्या पता रात को कुछ खास सौगात मिल जाए.."

रिया सुनकर हँस पड़ी और शरमाकर चेहरा घुटनो में छिपा लिया

"ओफ्फो ऐसे तो arrange मैरिज में शरमाते है ,तुम्हे तो 7 साल पहले से जानता हूं..मुझसे कैसा शर्माना"?

रिया ने चेहरा ऊपर किया,अबकी बार चेहरे ने गम्भीरता ओढ़ ली थी..

"अमिश ,पापा जी कब तक मुझसे नाराज़ रहेंगे??"

"ज्यादा टाइम तक नहीं क्योंकि तुम इतनी प्यारी हो कि तुमसे कोई नाराज़ रह ही नहीं सकता"

"लेकिन मुझे समझ नहीं आता वो हमारी लव मैरिज से नाराज है या इस बात से की शादी उनके शानो शौकत के हिसाब से नही हुई"

"दोनो बातों का छोर एक ही है..सीधी सी बात है रिया जिस इंसान ने दिन रात खून पसीना बहाकर समाज मे अपनी एक जगह बनाई हो जिसकी लोग इतनी इज्जत करते हो, अपने घर परिवार के मसले हल करवाते हो..जिसकी जबान ही लोगो के लिए पत्थर की लकीर हो..ऐसे इंसान से जलने और खार खाने वाले लोग भी कम नहीं होते.."

"ऐसे में उस इंसान का इकलौता लड़का दूसरी जाति में शादी कर ले..तो ईर्ष्यालु लोग उसकी बेइज्जती करने में कसर नहीं छोड़ते"

" हम लोगो का बाहर इतना कनेक्शन नहीं है समाज मे औऱ जो है भी तो उसमें हमारे जैसी सोच के ही लोग है"

"हमारी शादी के बाद से ही धर्म,जाति, मान सम्मान के ठेकेदारों ने पापा का जीना हराम किया हुआ है"

"परसो ही मम्मी बता रही थीं आश्रम की कमेटी की मीटिंग में मुद्दा ये था की आश्रम के सामने वाले पार्क में कुछ लड़के लड़किया अश्लील हरकत करते है तो उनके खिलाफ क्या कदम उठाने चाहिए ??..

"तो कुछ मेंबर व्यंग में पापा की तरफ देख कर बोले "अजी कल तक हममें से किसी के बच्चे यही हरकते करते होंगे पार्क में..वो ही ना सम्भाले गए..तो दूसरों को कौन कहेगा??"

"और भी काफी कुछ बोला गया..ड्राइवर ने सब बातें बताई मम्मी को..यहाँ तक कि कुछ लोगो ने सीधा पापा के मुँह पर बोल दिया"भईया जी इकलौते बेटे की शादी थीं पर लड़की वालों ने शादी का इंतजाम ऐसे किया था मानो भूखों के लिए भंडारा किया हो"

"बस इसी लिए आज नरेंद्र अंकल के बेटे की शादी को देखकर पापा ने तुमसे कह दिया"देख रही हो रिया, इसे कहते है शादी का इंतजाम..जबकि तुम्हारे यहाँ तो...."

"तो ये सब कब तक चलेगा अमिश"

"पता नहीं, पर पापा दिल के बुरे नही है रिया..बस लोग जो कड़वाहट भर रहे है उनके दिल और दिमाग मे वही कड़वाहट उनकी जबान से निकल जाती है"

"ह्म्म्म चलो देखते हैं.. कपड़े चेंज कर लूं मैं.फिर सोना भी है.."

"लेकिन मैं तो वो...सब्र का फल..सौगात.."

"हट्ट, गन्दा लड़का" कहकर रिया अमिश के सीने पर नकली घूँसा मार बाथरूम में चली गईं"

अमिश बाहर खड़ा सोचने लगा इस लड़की से कोई नाराज रह ही नही सकता..सब ठीक हो जाएगा.. सोचकर उसने खुद को तस्सली दी..

सुबह राजेश जी रोज के मुकाबले जल्दी उठ गए.. देखा नीलिमा जी अभी तक सोई है...हैरान रह गए और सोचने लगे...

ये तो इतनी देर तक नही सोती..या यूं कहें कि कभी सोने को मिला ही नहीं.. समाज मे एक जगह बनाने में केवल मेरा ही नही इसका भी हाथ है..बल्कि इसकी मेहनत ज्यादा है..पूरे दिन आने जाने वालों का तांता लगा रहता और ये एक पैर से रसोई में खड़ी उनकी आवभगत में लगी रहती..

अपनी सेहत का भी ध्यान नहीं किया..पिछले कई सालों में याद नही कभी इस तरह चैन से सोई हो...

फिर अचानक सोचा कहीं तबीयत तो खराब नहीं.. उन्होंने धीरे से आवाज़ दी"नीलिमा ,आज उठना नही है क्या..??संडे है कुछ बढ़िया सा नाश्ता मिलेगा..?"

नीलिमा जी मुस्कुराते हुए उठी और बोली"अरे मैं तो रोज अपने टाइम पर उठती हूं,आज आप जल्दी उठ गए हजबसे रिया आई है मुझे जल्दी नहीं उठने देती..पहले दिन जब मैं उठी तभी उसने मना कर दिया था..तो लगभग 41 साल बाद अब चैन से सो पाती हूँ"

राजेश जी ने देखा नीलिमा के चेहरे पर ये रौनक, ये असीम शांति इतने सालों बाद दिखी है।।

नहा धोकर नाश्ते के लिए बैठे तो वो भी अच्छा ही बना था..पास बैठी कपड़े तह करती रिया की तरफ देखा..

कितनी प्यारी बच्ची है..समाज का दिया जहर इस पर उड़ेल देता हूं..कितनी उम्मीदों से आई है मेरे घर..

अचानक अपनी बेटी याद आई..अमिश से 7 साल बड़ी है..arrange मैरिज थी उसक,आज तक ससुराल वाले खुश नहीं हुए उससे..जबकि शादी में कोई कमी ना रखी थी.

समझ नही आता गलती किसकी है,कभी बेटी की बात सही लगती है कभी ससुराल वालों की..बस इसी असमंजस में जिंदगी कट रही है..

लेकिन यहाँ किसकी गलती है??मेरी क्योंकि समाज मुझे जो ताने देता है..उसकी चिड़न मैं रिया पर उतार देता हूं..या अमिश की गलती है क्योंकि तय हुआ रिश्ता तोड़ उसने रिया से शादी की..

लेकिन कहीं से भी रिया की गलती तो नही है..तभी फ़ोन बजा.." हां नरेंद्र जी बोलिए.. भाई मुबारक हो बहुत ही बढ़िया इंतजाम किया था लड़की वालों ने.."

"क्या!!पर कल ही तो बहु घर आई है और आज ही ये सब..."जी मैं आ जाऊंगा..कोशिश करेंगे दोनो को समझाने की"

"क्या हुआ..किसका फ़ोन था??"

"नरेंद्र जी का था नीलिमा..उनकी बहू ने आज दोपहर ही सबसे कह दिया कि पापा ने जो फ्लैट गिफ्ट में दिया है वो पति के साथ वही रहेगी इसलिए दहेज का सामान उतरवाने से मना कर दिया..

उनका बेटा तैयार नही इन सब के लिए..तो रिश्ता जुड़ते ही टूटने की कगार पर आ गया है..कल दोनो पक्षो को बुलाया है..देखो क्या रहता है??

तभी रिया अपने हाथ मे एक बॉक्स लिए आई और नीलिमा जी को देते हुए बोली"मम्मी अब तो मुँह दिखाई के लिए आने वाले आ चुके अब ये ज्वैलरी पहनने की जरूरत नही है..आप अपने पास रख लो.."

अचानक राजेश जी बोले"चलो बेटा रिया तुम्हारे वोटर आई डी का भी देख ले..आज तुम्हे अपने आश्रम के कमेटी मेम्बर से भी मिलवा दु..फिर तुम्हारी favourte icecream खिलाऊँगा तुम्हे..नीलिमा तैयार हो जाओ तुम भी चलो..

दोनो सास बहू एक दूसरे को देख मुसकुराते हुए तैयार होने चल दी..

और राजेश जी उन दोनों को मुस्कुराता देख खुद भी मुस्कुरा उठे..

रेखा तोमर

स्वरचित

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rekha shishodia tomar

rekha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Nice story

  • indu inshail · 4 years ago last edited 4 years ago

    It so so beautiful story. Kaise likhte Ho aap itna accha. Every line has a grip. I wish I could write like this.

  • Ektakocharrelan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Nice story dear

  • Shubhangani Sharma · 4 years ago last edited 4 years ago

    Nice thought

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