घर की लक्ष्मी

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 16 Nov, 2019 | 0 mins read


"मम्मी, इस बार फैंसी ड्रेस की थीम प्लांट्स है..मैं कौन सा प्लांट चुनु"?

"हम्म,मैं बनाउंगी अपनी बिटिया को मनीप्लांट का पौधा"

"क्यों मम्मी"?

"क्योंकि तुम हो घर की लक्ष्मी और मनीप्लांट का पौधा भी तो इसलिए ही लगाते है बहुत से लोग"


उसी शाम"देख विशाल पत्नी पर हाथ उठाना सही नही है, घर की लक्ष्मी है वो, उसे दुखी रखेगा तो घर मे खुशी और बरक्कत कहाँ से आएगी"?

"मम्मी मामा ने मामी को मारा"?

"बड़ो की बाते नही सुनते बेटा"

1 घण्टे बाद

"अरे कहाँ मर गई?एक कप चाय पिला..रोज बिजनेस में एक नया नुकसान हो रहा है "

"पापा मम्मी को मारना छोड़ दोगे तो नुकसान नहीं होगा, मम्मी घर की लक्ष्मी है ना"

"झूठ है ये,कोई लक्ष्मी नही होती"

"मतलब मैं भी लक्ष्मी नही हूँ, मेरा पति भी मुझे ऐसे ही पीटेगा पापा"

पिता के दिल को धक्का लगा और माँ के आँखों से आँसू बह निकले


रेखातोमर

पूर्णतः मौलिक व स्वरचित

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