आपने हर्पिज के बारे में सुना होगा आज उसी की जानकारी आपको देने जा रही हूं।
दरअसल हर्पीज़ की बीमारी में किसी भी बॉडी पार्ट में कुछ ऐसे घाव या फफोले हो जाते है जो खुजली के साथ दर्दनाक भी होते है।
हर्पीज
हर्पीज सिम्पलेक्स नामक वायरस से फैलता है।
हर्पीज दो प्रकार का होता है।
हर्पीज टाइप-1 (HSV I)
ये संक्रमण मुँह और होठो की त्वचा के आसपास फैलता है,इन जगहों पर स्त्राव वाले घाव हो जाते है।
ये घाव किसी का टूथब्रश इस्तेमाल करने,खाने के बर्तन, किस करने आदि के द्वारा फैल सकता है।
हर्पीज टाइप-2 (HSV II)
इसमें संक्रमित होने वाले बॉडी पार्ट है लिंग, योनि या गुदा इसलिए इसे जेनिटल हर्पीज़ भी कहते है।
अगर गर्भवती महिला में यह बीमारी है तो ये जन्म लेने वाले बच्चों को भी हो सकती है।
हर्पीज के क्या कारण होते है।
.बिना प्रीकॉशन के सेक्स करना चाहे वो ओरल हो, वेजिनल हो या एनल।
.संक्रमित व्यक्ति के प्रयोग किए हुए सेक्स टॉयज इस्तेमाल करना
.सेक्स के लिए एक से ज्यादा पार्टनर का होना
.बहुत ही कम उम्र या कहे कि नाबालिग अवस्था मे सेक्स करना
.प्राइवेट पार्ट में सदैव गीलेपन होने के कारण महिलाओ में ज्यादा पाया जाता है।
.अगर महिला डिलीवरी के समय दोनो में से किसी भी प्रकार के संक्रमण से ग्रसित है तो बच्चे के लिए बहुत ही गम्भीर जटिलता का कारण बन सकता है।
.स्वच्छता का ध्यान ना रखने से।
हर्पीज के लक्षण
. बुखार, थकान, लिम्फ नोड्स में सूजन और पीठ में दर्द
.प्राइवेट पार्ट्स,आस-पास घाव या छाले भी हो सकते हैं,
इन घावों में जलन, खुजली और चुभन होती है
इन दानों में पानी जैसा पदार्थ भरा होता है
क्या करें
अपनी डाइट में लिक्विड खूब ले, ठण्डे पानी से नहाएं, आहार में अंकुरित भोजन का सेवन करे, हरी पत्तेदार सब्जियां खाए,
क्या ना करें
घाव या दानों को बार बार ना छेड़े, ना ही फोड़े क्योंकि इनसे निकलने वाला द्रव जहाँ भी लगेगा संक्रमण फैलाएगा, साथी के प्रति ईमानदार रहे, संक्रमण रहने तक किस व सेक्स ना करे, घाव को गीला ना रहने दे, कसे वस्त्र ना पहने, ऑयली या मसालेदार भोजन ना करे, गर्मी से बच कर रहे, गर्म तासीर की चीज़ें ना खाएं।
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