मै बहुत देर से सामने देख रहा था, नई नई पड़ोसन के घर कुछ हलचल है, मैं बाहर टूर पर था जब इनका आगमन हुआ..
वापस आया तो पता चला सामने वाले घर मे कोई किराएदार आई है।
सबसे पहले अपना परिचय दे दु,मैं राकेश रस्तोगी 36 साल का अविवाहित पुरुष, अविवाहित क्यों? दरअसल विवाह तो हुआ था किंतु जीवनसंगिनी को एक से ज्यादा पुरुषो की आवश्यकता थी...समझ ही गए होंगे आप.
ना.. ना..मत कहिएगा की गलतफहमी में रिश्ता तोड़ दिया मैंने, खुद अपनी आँखों से बेडरूम में ये गंदगी देख चुका हूँ।
हँसिए मेरी स्थिति पर..सरप्राइज देने अचानक आ गया था टूर से..सब बड़ा फिल्मी है ना?पर सब कुछ सच है।
खैर छोड़िए महिलाएं ऐसी ही होती है..जब तक मौका ना मिले तब तक सती सावित्री..
आप बुरा मानना चाहे तो मान सकते हो,मेरी सोच यही है,क्योंकि एक नही तीन महिलाओं के साथ मेरा यही अनुभव है. अच्छा हुआ कि विवाह केवल एक से किया.
आखिर महिला ही तो पुरुष को शह देती है, चलिए तो मैं बता रहा था कि सामने सुबह से बड़ी हलचल है..अभी अभी दो पुरूषों को अंदर घुसते देखा मैंने..5 दिन पहले इन्ही में से एक पुरुष कुछ पैसे देकर गया था मेरे सामने.. पति को देखा भी नही है,एक हफ्ता तो हो गया मुझे.होगा कोई मेरे जैसा ,टूर पर बेचारा
क्या करूँ?इसे भी पकड़ू रंगे हाथों?चरित्रहीन स्त्रियों से व्यक्तिगत दुश्मनी मानता हूँ मैं.
आखिरकार जाकर ज़ोर से दरवाजा पीट दिया, सामने वही खड़ी थी.. अस्त व्यस्त कपड़े, बिखरे बाल,
मन मे बड़ी सी गाली देकर मैं बोला"वो ज़रा केबल कनेक्शन पूछना था कि आपके यहाँ आ रहा है क्या?"
वो कुछ अजीब से लहज़े में बोली"नही भाईसाहब"
ज़रा सा अंदर झाँकने की कोशिश की,अंदर कुछ अफरा तफरी मची हुई थी।
"कमीने लोग" मैं फिर मन मे बोला तभी उनमे से एक लगभग भागता हुआ बाहर आया और बोला"दीदी, सब तैयारी कर दी है,हॉस्पिटल फोन कर दिया है एम्बुलेंस आती होगी.. अंदर रवि, जीजाजी के सब रिपोर्ट्स इक्कठे कर रहा है..आप घर पर ही रहो, हम ले जाएंगे"
"नही नही,मैं उन्हें अकेला नही छोड़ती,कुछ मांगेंगे तो तुम्हे समझ नही आएगा,मैं चलूंगी..अभी आई" कहकर वो दौड़ती हुई अंदर चली गई
"जी,मैं पड़ोसी हूँ,क्या हुआ है इनके पति को"?
"लकवा है 2 साल से, बिस्तर पर ही है,दीदी ही देखभाल करती है..आर्थिक मदद हम कर देते है..हॉस्पिटल में भर्ती करने को कहा था पर बोली कि मैं अकेला नही छोड़ सकती..आज हालत ज्यादा खराब हो गई है उनकी"
इतना कह वो भी अंदर चला गया,और बाहर मैं खड़ा था ,लकवा लगे दिल दिमाग के साथ.
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