जिंदगी

कहानी कुछ अपनी सी

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 29 Jan, 2020 | 1 min read

"सुनो आज तुम्हे एक सरप्राइज दूंगा आकर"

"क्या"?

"वैसे देखा जाए तो ये surprize तुम्हे, तुम्हारी तरफ से ही है"

"क्या बोल रहे हो?,कुछ समझ नही आ रहा"

"चलो अब निकल रहा हूँ,घर के लिए आकर बताता हूँ"

मनस्वी को समझ नही आ रहा था ऐसा कौन सा surprize है जो खुद उसने अपने लिए लिया और उसको ही पता नही

बड़ी बेचैनी से वो अपने पति सुशील का इंतजार करने लगी।

शाम को 7 बजे गाड़ी की आवाज सुन वो दौड़ती हुई बाहर गई।

सुशील ने मुस्कराते हुए उसे देखा और बोला"क्या बात है, आज तो मोहतरमा गाड़ी की आवाज सुन बाहर ही आ गई..क्या चक्कर है"?

"प्लीज् जल्दी से बताओ ना क्या surprize है"?

"ओहहो तो ये सब उस surprize का चमत्कार है"

"बताओ ना जल्दी"

"देवी हमे घर मे प्रवेश करने दो, कुछ नाश्ता पानी दो..इस देवता को प्रसन्न करो..कुछ पप्पी झप्पी दो तब तो ना बात बने"

"चलिए मत बताओ"इतना कहकर मनस्वी अंदर चली आई

अंदर आकर सुशील को पानी और फ्रूट्स दे, बड़ी ही उत्सुकता से उसके सामने बैठ गई

सुशील ने मनस्वी को ऐसे बैठे देखा तो हँसने लगा और बोला"लगता है जल्दी बताना पड़ेगा ,कहीं पारा हाई ना हो जाए"

"हाँ जल्दी बोलो"

सुशील ने एक पासबुक मनस्वी के हाथ पर रखते हुए कहा"ये देखो हमारे जॉइंट एकाउंट की पासबुक..तुम्हे पता है ये सिर्फ तुम्हारे लिए खुलवाया था..लेकिन तुम्हे बैंक के काम पसन्द नही इसलिए जॉइंट में खुलवाना पड़ा.. इसमे तुम्हारे स्टोरी और कंटेंट राइटिंग के पैसे ही आते है..जरा देखो तो कितने हो गए अब तक"

मनस्वी ने जल्दी से पासबुक खोली,हैरानी और खुशी से चिल्ला उठी"वाओ, इक्यावन हज़ार.. ओह मय गॉड..मुझे यकीन नही हो रहा..मैंने तो कभी जोड़े ही नही..बस लिखती रही और पैसे आते रहे"

"देख लो कैसा शगुन जैसे पैसे है इक्यावन"

"आज तो मैं सच मे बहुत खुश हूँ"

सब काम निपटाकर जब सब नींद की गहराइयों में थे तब मनस्वी अपनी एक साल की अभी तक कि यात्रा में विचरण कर रही थी

कैसे सब कुछ होता चला गया, जिंदगी कभी कभी, कहाँ से कहाँ ले आती है समझ नही आता

ठीक एक साल पहले ऐसे ही फेसबुक स्क्रोल करते हुए एक राइटिंग app पर नजर गई।

जाने क्या सोचकर उसे क्लिक कर दिया, वहाँ लिखने का ऑप्शन देख अपनी कॉलेज टाइम की डायरी में लिखी कविता याद आई।

सकुचाते हुए पोस्ट कर दी..ज्यादा उम्मीद थी कि शायद पसन्द ही ना आए किसी को..पर जब approve होने का नोटिफिकेशन आया तो बैठे बैठे बिस्तर से उछल पड़ी थी

उसके बाद शुरू हुआ सफर आज तक जारी है, इसी लेखन के जरिए कई तरह के लोगो से मिलना हुआ और फिर एक दिन अचानक messanger पर message आया.."आपकी हॉरर पढ़ी ,क्या आप पेड आर्टिकल और हॉरर स्टोरी लिखना चाहेगी"

बहुत समय तक सोच विचार के बाद मनस्वी ने हाँ कर दी, और तब से आज तक वो अपने शौक को जीते हुए आर्थिक रूप से सम्बल हो रही है..

कभी कभी जिंदगी बिना मांगे बहुत कुछ दे देती है, है ना? बस आँखे और दिमाग खुले रखिए

सत्य घटना पर आधारित

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