कैसे बदले खुद को

ICHALLENGEYOU (10)

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 21 May, 2020 | 1 min read

गृहिणी की सबसे बड़ी मुसीबत "अरे अपने लिए टाइम कहाँ है"। एक बात सबसे पहले याद रखिये, अभी अपने लिए टाइम नहीं निकाला तो बाद में एक बीमार और बेकार दिखने वाली गृहिणी के लिए किसी के पास टाइम नहीं होगा |
मैं यहाँ बुजुर्गों की बात नहीं कर रही, जवानी में बुजुर्गों की तरह रहनी वाली महिलाओं की बात कर रही हूँ, अब करें कैसे सब कुछ एक साथ,
1#इच्छाशक्ति - सबसे बड़ी चीज जो आपकी मदद करेंगी वो है आपकी इच्छाशक्ति, दुनिया जानती है इच्छाशक्ति से कैंसर जैसी बीमारी ठीक होती है। तो स्वस्थ रहना क्या मुश्किल है।
जो सोच लिया वो करो, थोड़ा मुश्किल होता है पर एक बार बिस्तर छोड़ दोगे तो आगे जाके बिस्तर नहीं पकड़ना पड़ेगा।
2#शरीर से प्यार करो सुंदरर बनाओ - "अरे सूरत में क्या रखा है सीरत अच्छी होनी चाहिए" कुछ हद तक सही है पूरी तरह नहीं। आप किसी से मिलेंगे तो सीरत तो बाद में पता चलेगी ना, रिश्ते भी सूरत देख कर ही होते है । सीरत तो बाद में काम आती है । आत्मविश्वास कहाँ से कहाँ जाएगा ये सूरत पर ही निर्भर है तो ध्यान रखो आत्मा और मन के साथ उस घर का भी जिसमें ये दोनों रहते है |
3#जमाना स्मार्ट मम्मी का- "मां कैसी भी हो, बच्चों को तो सुंदर ही लगती है" सुनने में बहुत अच्छी बात लेकिन जब आजकल के पैरेंट्स ही तुलना करते है दूसरे बच्चों से तो बच्चे भी करते है। "उसकी मम्मी बड़ी एक्टिव और स्मार्ट है मेंरी मम्मी को तो जब देखो कोई ना कोई दिक्कत" अच्छे से रहती भी नहीं" | बच्चे ये बातें नफरत में नहीं झुंझलाहट में बोलते हैं । खुद सोचिये बच्चा स्कूल से आये और माँ सिर पे चुन्नी लपेटे घूम रही है या कमर दर्द में है तो उसे कैसा लगेगा ?
4#कैसे निकालें मी टाइम- सबसे पहले अलार्म थोड़ा पहले खिसकाए, इसके लिए जल्दी सोना पड़ेगा । फैमिली को तैयार करें कि वो रात का काम जल्दी निबटाने में आपकी मदद करें, यहाँ घर के काम नहीं कराने को कह रही, कर दें तो बहुत अच्छी बात है| उनसे कहे खाना थोड़ा जल्दी खा लें, आधा पौना घंटे जल्दी खाने से भूख पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता |
अगर बच्चा छोटा है तो उसे आप नहीं समझा सकते तो खुद उसके हिसाब से ढल जाएँ |
5#अपने ऊपर भी खर्च करें - महिलाओं की सबसे गलत सोच "अरे इतने में अपने लिए ये लुंगी इतने में तो ये काम हो जाएगा | फल बड़े महंगे है, सप्लीमेंट (ये मेंडिसिन नहीं होते) बड़े महंगे हैं, बच्चों को खिला के हम खायेंगे तो एक बात समझ लीजिए अगर शरीर में किसी तरह की कमी आती है तो या तो आप उसे झेलते हुए जिंदगी निकाले या इलाज में खर्च करें | 500 फीस देने से अच्छा है उतने के फल डॉयफ्रूट खा लें | हमें कुछ नहीं होगा ये ओवर कांफिडेंस छोड़ दें, आजकल बच्चे पेट से बीमारी लेकर आते है तो आप क्या चीज़ हैं |
6//डस्टबिन ना बने- आप डस्टबिन नही है,ये जूठा खाने,फालतू खाने की आदत छोड़ दे।
7//बच्चों को सम्मिलित करें- बच्चे को बहलाकर बताए कि वो किस तरह से आपकी हेल्थी होने में मदद कर सकता है | , अगर बच्चा ज्यादा छोटा है तो उसके टाइम टेबल के हिसाब से अपना टाइम टेबल बनाये |
8//परिवार को सम्मिलित करें- परिवार को समझाए की आपका स्वस्थ रहना कितना जरूरी है | कल को अगर आप बीमार होती हैं तो इन्हीं लोगों को आप बोझ लगने लगोगे|

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