ऑटिज़्म
ऑटिज़्म एक न्यूरोलॉजीकल डिसऑर्डर है। जिसमे बच्चा ना तो सही से अपनी बात रख पाता है ना ही दूसरों की बात समझ पाता है।
जब बच्चा पैदा होता है गर्भाशय में होता है तो इसका पता लगाना मुश्किल है
जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है उसके व्यवहार में कुछ परिवर्तन आने लगता है।3 साल तक ये परिवर्तन रहता है।
एक साल तक माता पिता बचपना मान कर लक्षणों को पहचान ही नही पाते। उसके बाद उन्हें समझ मे आता है कि बच्चा दूसरे बच्चो से अलग है।
ऐसे 6 महीने से लेकर एक साल तक के बीच एक बात का ध्यान रखे, ताकि यदि बच्चा ऑटिज़्म से पीड़ित है तो आप पहचान सके।
.बच्चा किसी भी बात या घटना पर कैसे कब और कितना रियेक्ट करता है जैसे मुस्कुराना या किलकारी भरना
एक बात का ध्यान रखे कि अलग अलग बच्चे में इसके लक्षण अलग होते है इसलिए इसे ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर भी कहते है।
कुछ ऑटिस्टिक बच्चे बहुत तेज याददाश्त वाले होते है।लेकिन कुछ बच्चे सीखने में बहुत मुश्किल महसूस करते है।
ऐसे बच्चे एक ही बर्ताव को बार बार करते है।
लड़कियों की तुलना में लड़को में ये बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है।
ऑटिज़्म के कारण
ऑटिज़्म का मुख्य कारण कोई नही जानता केवल कुछ रिसर्च है जिनके आधार पर आप निम्न कारण मान सकते है।
-अगर पहले परिवार के किसी सदस्य को ऑटिज़्म रहा हो तो ऑटिज़्म की संभावना होती है।
-कुछ डॉक्टर्स का मानना है गर्भावस्था में यदि कोई कॉम्प्लिकेशन आए या कोई वायरल इन्फेक्शन हो तो
ऑटिज़्म हो सकता है।
-कुछ रिसर्च कहती है कि premature डिलीवरी से होने वाले बच्चो में भी ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का खतरा ज्यादा होता है
-यदि माता पिता ज्यादा उम्र में परिवार बढ़ाने का प्लान करते है तो भी बच्चे को ऑटिज़्म का खतरा होता है।
इसके अलावा जन्म के समय बच्चे के ब्रेन में कम ऑक्सीजन सप्लाई, माँ में थाइरोइड होना, गर्भावस्था में माँ को डिप्रेशन होना भी एक कारक है
ऑटिज़्म के लक्षण:
.नाम पुकारने पर रियेक्ट नही करते
.जल्दी से हर किसी की गोदी में नही आते
.अकेले रहना और खेलना पसंद करते है।
.आई कॉन्टेक्ट नही करते।
.चेहरे पर एक्सप्रेशन नही देते।
.या तो देर से बोलते है या बोलते ही नही
.कई बार जो शब्द पहले सही से बोल रहे होते है बाद में उन्हें बोलने में दिक्कत होती है।
.बातचीत शुरू करना या उसे जारी रखना इन बच्चो के लिए मुश्किल है।
.बातो का कोई रिदम नही होता
.बेमतलब की बातों को बार बार दोहराते है।
.बहुत आसान से प्रश्नों को भी नही समझ पाते।
.ना ही फीलिंग एक्सप्रेस कर सकते है ना समझ सकते है।
.लगातार बिना प्रयोजन हाथ हिलाते हुए उधर से उधर घूमते रहते है।
.एक पर्टिकुलर पैटर्न फॉलो करते है, पैटर्न बदलते ही चिड़चिड़ा जाते है।
.तेज रोशनी तथा तेज आवाज बर्दाश्त नही करते।
.खाने में कुछ गिनी चुनी चीज़ों को ही लगातार खाते हैं।
.कब्ज अनिंद्रा पाचन से सम्बंधित समस्या होना।
.खुद को नुकसान भी पहुँचा लेते हैं।
.लगातार एक तरफ देखना।
.खिलौने से खेलने की बजाय उन्हें सूंघना या चाटना।
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