आखिरी ब्रेड

एक गृहिणी की सोच

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 26 Jan, 2020 | 1 min read

"रिमी नाश्ते में क्या लेगी"?
"ब्रेड जैम और चाय"
"बेटा ब्रेड तो नही है"
"अच्छा तो बटर परांठा दे दो"
एक बिस्किट कुतरती हुई रिमी किचन में आई, मम्मी ये बिस्किट बिल्कुल पसीजा हुआ है, क्यों रखे है ऐसे  बिस्किट डब्बे में"?
"अरे ये क्यों खा  रही हॉ?ये तो मैंने अपने लिए रखे थे..चाय के साथ ले लेती हूँ कभी कभी"
"ये बिस्किट, पर क्यों मम्मी?"
"अरे ,बेकार ही जायेंगे..और कोई खाएगा नही घर मे"
"फिर आप क्यों..?
"छोड़ ना ,कॉलेज के लिए लेट हो जाएगी..ये बटर परांठा ले जल्दी"
रिमी उस सीले हुए बिस्किट के डब्बे को देखते हुए परांठा खाने लगी।
अगली सुबह रिमी कॉलेज के लिए तैयार होने लगीं
"रिमी आज ब्रेड जैम दे दु"
"हाँ मम्मी"sunscream लगाते हुए किचन में आई
"ये आगे पीछे की लास्ट ब्रेड अलग क्यों निकाल दी"
"ये मैं ले लुंगी,और कोई खायेगा नही"
"ये क्या बोलते रहते हो आप?और कोई खायेगा नही..अरे जब दोगे तभी तो खायेगा कोई,जब आप खा सकते हो तो कोई और क्यों नही? सब इंसान है तो आप क्या हो"?
"बेटा क्यों बात बढ़ा रही है"?
"क्योंकि बात ही ऐसी है,ये कैसी सोच है आपकी..जो खाने लायक चीज़ है खाओ नही तो नही..अभी खुद कर रही हो फिर अन्वय की पत्नी कल को बहू बनकर आएगी तो उससे भी यही उम्मीद करोगी..वो नही करेगी तो ताने दोगी की मैंने तो ये किया है..फिर वही सास बहू के क्लेश"
"तू बात को कहाँ से कहाँ ले जा रही है"?
"सच कह रही हूँ मैं, आपको देख देख कर मेरे मन मे भी यही चीज़े जड़ जमा लेंगी,मैं भी ससुराल में यही करूँगी..क्यों पर क्यों मम्मी"?
"अरे क्यों का क्या जवाब दु तुझे"?
"इसका कोई जवाब ही नही है,ये बेकार का रिवाज टाइप है जो आप जैसी मम्मी की देन है..बन्द करो ये आज से और अभी से..पसीजे बिस्किट और नमकीन खाना, आखिरी ब्रेड लेना, जो सब्जी अच्छी ना बने दो दिन तक वही खाना.. सिर्फ इसलिए कि घर मे कोई नही खाएगा.. वाह जी वाह मतलब "सड़े गले का यार मुसद्दी"
"ठीक है ठीक है मेरी माँ प्रॉमिस, अब नही करूँगी ऐसे"
"ये हुई ना बात..अब नाश्ता दो मैं निकलती हूँ'
इतना कह रिमी वही आखरी ब्रेड ले किचन से बाहर आ गई और उसकी मम्मी ने मुस्कुराते हुए मन मे सोचा"मेरी बच्ची तूने भी तो अब यही किया,ये ब्रेड मैं ना खा लू इसलिए तूने ले ली..ये रिवाज हम औरतो के खून में होता है"

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