नमस्ते पपरविफ़ और प्यारी दीदी सुनीता जी
आपके कहने से आज पहली बार मैं हिमाचली में कुछ लिखने जा रही हूँ, हिमाचल की खूबसूरती का हम लोग कैसे मज़ा लेते हैं, अपनी भाषा में ।
हिमाचले साई कोई स्वर्ग नी धरतिया पर, बर्फ दा आँचल गलांदे इसजो, क्यो कि चारों पासे ते हिमाचल हिमालय दे बर्फीले पहाड़ां ने घिरेया है। बड़ियाँ साड़ियां खडॉ हेंन ऐथु । ब्यास खड्डा बखे अपने ग्रां हेंन। ठंडीयाँ हवां झूलदी रहनदियाँ, कन्ने चिलां दे डालू । अजकल अम्ब लगी पे ओ, आम्बुआ ता रोज़ ही बण्दा, बड़ा स्वाद होंदा । दीदी जी, तुंहा झट ही ओनेयो । तुहां दी बड़ी याद औंदी ।
मलकोट गंज चलगे फिरी, झरने हेठ बैंगे कन्ने बदलां जो दिखगे । गरमा गरम चा पींगे । फिरी धर्मशाला घूमगे । बसा विच जांगे,आशा पूरी माता दे मन्द्र, खट्टे छोले खांगे । तुहां ने मिलने दा दिल कितेया।
रश्मि
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह रश्मि, बहुत प्यारा लिखा, कोरोना के खत्म होते ही हम लोग जल्दी ही मिलेंगे और खूब मज़े करेंगे❤️❤️
वाह
Waah, aap sunita ji bahut yaad kr rahe ho.. dua kro yeh lockdown jaldi khatam ho.👌👌
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