यूँ तो हर मौसम अपनी खास पहचान रखता है, उसे भी अपने अलबेले होने पर अभिमान होता है,
रंग बदल - बदल कर अपने रंग दिखाता है वो, कभी गुस्से से तो कभी नरमी से पेश आता है वो,
सर्दी का मौसम सदाबहार की श्रेणी में आता है, एक तो आलस नहीं रहता,
और दूसरा भोजन में भी स्वाद बढ़ाता है वो,
माना की सबकी अलग कहानी है, पर जो बात सर्दी में है,
वो और किसी में कहाँ नज़र आती है, ना बैचेनी होती है शरीर में, ना ही धूप हमें जलाती है,
इसमें तो जाड़ा कहर बरपाता है, और ठंड़ी हवाऐं सर्दियों के आने का बिगुल बजाती है,
गर्म कपड़ों के सहारे अच्छा वक्त कटता है, इंसान घूमने - फिरने का भी खूब आनंद लेता है,
इसके आते ही पार्क सजने लगते है, किड़े - मकौड़ों के आकड़ें कम होने लगते है,
जैसे - जैसे ऐ बढ़ती है वैसे - वैसे और सुन्दर दिखने लगती है,
पहाड़ियों पर भी तो इसी मौसम में सफेद चाहर चढ़ने लगती है,
कुछ भी कहो आराम भी यही देती है और सुकून भी यही देती है,
इतने खो जाते है इसमें कि पता ही नहीं चलता कि ऐ कब शुरू होती है,
और कब अंत होती है.
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