मैं गुस्सा.................

खराब वक्त की घंटी हूँ मैं, तबाही की दस्तक हूँ मैं, हर शय है घर मेरा, भगाओं मुझे नहीं तो खा जाऊँगा मैं.

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 624
rashi sharma
rashi sharma 24 Aug, 2022 | 1 min read

कई जज़्बात है इंसानों में, कई एहसास है प्रक्रति की बाहों में,

सबको पता है इसके बारे में, ठूस - ठूस कर भरा हुआ है ऐ सभी इंसानों में,

मैं गुस्सा सदा से ही अंत का परिचायक हूँ, बनती बात बिगाड़ने का कायल हूँ,

मेरा इस्तेमाल ही बर्बादी के लिए होता है,

झूठ कहता है वो जो कहता है गुस्सा कर लेने से इंसान शांत हो जाता है,


क्या कभी हंसने के बाद बुरा महसूस करते हो,

क्या रोने के बाद आंसू की वजह तलाश करते हो,

क्या याद रह जाती है खुद की परेशानी किसी से बाँटने के बाद,

क्या चुप्पी नहीं लग जाती है किसी को डाँटने के बाद,

चैन खो जाता है गुस्सा करने के बाद और ग्लानी जकड़ लेती है आत्मा को,

गुस्सा शांत होने के बाद,


मैं गुस्सा बड़ा ही हानिकारक हूँ, खा जाता हूँ खुशियां मैं दूर भगाने के लायक हूँ,

मुझे साथ रख किसी का भला ना हुआ, लोग डरते है गुस्सैल प्रव्रत्ति से,

सिर तो झुका, मगर सम्मान ना मिला,

काश कि मुझे भी मौत आ जाएं, मैं जुदा हो जाऊँ हर शख़्स से,

ताकि वो सुकून से जी पाएं.



0 likes

Support rashi sharma

Please login to support the author.

Published By

rashi sharma

rashisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.