मैं वैसी ही हूँ..................

मैं वैसा ही हूँ.

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rashi sharma
rashi sharma 06 Dec, 2022 | 1 min read

मैं वैसी ही हूँ पर सब बदला - बदला सा है,

वही आकाश, वही धरती, वही पानी फिर भी सब नया सा है,

इंसान पहले युग में भी थे और आज भी है,

फर्क सिर्फ इतना है पहले समझदार थे,

और अब व्यस्त है,


मैं वैसी ही हूँ मगर सोच बदल चुकी है,

आँखें तो पहले जैसी ही है मगर नज़र बदल चुकी है,

प्रक्रति तबाह हो रही है लेकिन किसी को फर्क ही नहीं पड़ता,

तालियां तो बजती है मेरी डोक्यूमेंटरी पर,

मगर मदद को वो हाथ आगे नहीं आता,


मैं वैसी ही हूँ मगर अब स्तबद्ध हूँ,

बेमतलब के बदलाव से ग्रस्त हूँ,

मुझ बीमार का ईलाज क्यों नहीं करते,

जब हो जाऊँगी लाइलाज क्या तभी फिक्र करोगें.

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