दुनिया दौड़ लगाती है मेरे पीछे, पागल सी हो जाती है मेरे पीछे,
मैं भी उनका खूब इम्तिहान लेती हूँ, हर पल उनके सब्र को आज़माती रहती हूँ,
अच्छा लगता है जब मुझे पाने कि चाहत में इंसान खुद को भी भूल जाता है,
और भी बुरा लगता है जब कड़ी मेहनत के बावजूद किस्मत के सिर जीत का ताज जाता है,
इतराती हूँ, छुप जाती हूँ, बरसों तक तरसाती हूँ,
आँखों का पानी सूखने भी नहीं देती, तब तक और दूर चली जाती हूँ,
मनमौजी हूँ, मस्तमौला हूँ, आज यहाँ, कल वहाँ हूँ,
ना थमती हूँ, ना ठहरती हूँ, मैं सफलता बस भागती रहती हूँ,
मेरे मिल जाने पर गुरूर ना कर, कदमों पर ही रहने दें, सिर पर सवार ना कर,
सुना है मुझ पर अहंकार करने वाले कहीं के ना रहें,
मेरे रहने तक तो ठीक था, मेरे जाने के बाद पागल से हो गए,
मैं बनाती भी हूँ, मैं बिगाड़ती भी हूँ, मुझे ज़रा देख के मांगो,
पहले खुद तो संभल जाओ, फिर मुझे संभालों.
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