कभी वो अंजान होता है,
कभी पहचान में होता है,
रास्ता है जनाब मंज़िल तक पहुँचाने का,
एकलौता मार्ग होता हैं,
वो भटकाता भी है, भटकने से बचाता भी है,
कभी वो उत्साह से भर देता है तो,
कभी थकन का मतलब समझाता भी है,
सुना है मंज़िल में वो बात नहीं जो सफर में हैं,
जब पहुँच जाओगे वहां तक तो पता चलेगा,
मज़ा चलने में है या ठहरने में हैं,
कच्ची सड़क हो या पक्का रास्ता,
गुज़रना जंगल से हो या फिर हो शहरी रास्ता,
पथरीली राह हो या हो सुनसान रास्ता,
हर राह हमें कुछ सिखाती हैं,
तकलीफ भी देती है तो दूसरी तरफ मेहनत का मोल समझाती हैं.
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