दिखावे की जद्दोजहद....................

जैसा दिखना चाहते हो वैसा बन जाओं, वरना जैसे हो वैसे दिखों भी.

Originally published in hi
Reactions 0
357
rashi sharma
rashi sharma 07 Sep, 2022 | 0 mins read

सादगी भी भरे बज़ार दिखावा सिख रही है,

छूट ना जाए पीछे इसलिए महंगीई खरीद रही है,

सस्ती चीज़ों से दूर वो खुद की जगह बनाना चहती है,

अनचाहा ही सही मगर वो भीड़ का हिस्सा बनना चाहती है,


उसके समाने से जब खुशनुमा चेहरा गुज़रा,

उसे उसकी तकलीफ का अंदाज़ा हुआ,

सोचने लगी कि काश वो भी उन जैसी होती,

उसे क्या पता उस जैसे ही है सब,

फर्क सिर्फ इतना है कि वो दिखावा नहीं करती,


इस जद्दोजहद ने समाज ही बदल दिया,

इंसान हंसता तो है मगर ग़म साझा करना भूल गया,

ड़रता है कि दुनिया उसका मज़ाक बनाएगी,

हमें बेचारा समझ मुझ पर तंज़ बरसाएगी,


चीज़े मोल की ले आए, खुद बेमोल हो गए,

दिखावे में इतना डूबे कि आइने के सामने भी झूठ कहने लगे,

दर्पण बोला क्यों रोज़ाना मेरे सामने संवरने आ जाते हो,

जैसे तुम हो वैसे तुम दिखते नहीं,

फिर क्यों भला रोज़ अपना चेहरा दिखाते हो.

0 likes

Published By

rashi sharma

rashisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.