मैं समंदर ....................

समंदर भगवान की ऐसी रचना जो सुंदर भी है और शांत भी.

Originally published in hi
Reactions 0
255
rashi sharma
rashi sharma 09 Feb, 2024 | 0 mins read

मुझे आगे बढ़कर पीछे लौटना आता है,

जो छूट गया है पीछे उसे खुद में शामिल करना आता है,

माफ कर देता हूँ गुनहगार कचरों को यूँ ही,

गले से लगा उन्हें किनारे पर ले आता हूँ,


उफान मेरी खूबसूरती है और शांत रहना मेरी सादगी,

नीला रंग जंचता है मुझ पर तो रात में मैं काले रंग की हूँ दीवानी,

मेरा किनारा ठण्ड़ी हवा की पहचान है,

सूकुन है मेरे नज़दीक और मुझमें ही डूब जाने का लोगों का ख्वाब है,


ना नशा है मुझमें ना ही कोई मिलावट है,

कह दो लोगों से कि मेरे पास आ कर यूँ रोया ना करें,

एक तो हूँ मैं स्वाद में खारा,

मुझे दुनिया में गम भगाने का सराए ना समझे.

0 likes

Published By

rashi sharma

rashisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.