खोने चले है....................

शहर का बदलना कुछ नया नहीं, हमारा उससे जुड़ना ऐ भी कोई बात नहीं.

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rashi sharma
rashi sharma 10 Nov, 2022 | 1 min read

चल तो दिए है लम्बे सफर में,

बिना किसी को बताएं, बिना किसी से कुछ कहे,

ऐसा क्या है जिसकी तलाश में दूर निकल आएं है,

पता ही नहीं में कुछ ढूढ़ने निकले है या खुद को खोने आएं है,


हर बार परेशानी ही शहर छोड़ने का सबब नहीं होती,

कई दफा मन भर जाएं तो नए शहर की तलाश है शुरू होती,

ना ही किसी उम्दा शहर में जाना है, ना ही किसी बेमिसाल शहर में बसना है,

मैं तो चलता - फिरता मुसाफिर हूँ, मुझे तो अपने ह्रदय में नए शहर को बसाना है,


खानाबदोशी का कयल हूँ मैं टिकते नहीं एक जगह पाँव मेरे,

इसलिए इधर से उधर फिरता हूँ मैं,

मैं जानता हूँ ज़िन्दगी सदा के लिए नहीं है,

मगर मेरे लिए तो नए शहर में खुद को खोजना ही पूरी ज़िन्दगी है.

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