जब दिमाग खाली हो,
खुद के पास करने को कुछ काम ना हो,
जिस दिन खुद पर तरस आ जाए,
और इंसान को खुद के साथ वक्त बिताने का विचार आ जाए,
समझो उस दिन दिल खुश हो जाता है,
क्योंकि उसे भी अपने धड़कने और इंसान के ज़िंदा होने का पता चल जाता हैं,
एक पसंदीदा कोना और मेरे हाथ में चाय का होना,
उससे उठती भाप से मेरे एैनक पर कोहरे का होना,
इधर - उधर के नज़ारे मेरे खाली समय के साथी प्यारे,
इसमें बेहद सुकून और शांति का एहसास है,
क्या पता था खुद का साथ एक जादू जैसा हैं,
हर तकलीफ और थकन में मरहम जैसा हैं,
कभी मन हो तो खिड़की से झांको,
तो कभी अपनी पसंदीदा किताब को एक बार फिर पढ़ ड़ालों,
इस दिन कहीं बाहर नहीं जाते हम,
मेरा समय है खुद के साथ,
तो क्यों खामखां किसी और को बताएं हम.
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