मैं सीढी.............

हार - जीत से दूर में लोगों का साथ निभाता हूँ, मंज़िल दूर ही सही में हर प्रयास में ड़ट कर खड़ा रहता हूँ, मैं सीढी कितनों का सफर आसान करता हूँ.

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rashi sharma
rashi sharma 03 Sep, 2022 | 1 min read

मैं सीढी आसानी के लिए हूँ, मैं दूरियों का कम करने के लिए हूँ,

हर राहगीर को दरकार है मेरी, हर मंज़िल की शुरूआत ही मैं हूँ,

मैं नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे का सफर तय करती हूँ,

मैं हर हालात में सबका साथ निभाती हूँ,


थकान भी देती हूँ, भीड़ से बचा भी लेती हूँ,

सरपट भागते है लोग मुझ पर तभी तो इतनी पसंदीदा हूँ,

ईमारतों के साथ - साथ पहाड़ों तक मेरी पहुँच है,

कभी देखना रास्तों से ज़्यादा लोगों की मुझ पर नज़र है,


सपने दिखाता हूँ ऊँचाई के मेहनत करना उनका काम है,

जो साथ निभाया उन्होनें तो यकीन मानों मैं भी कहाँ पीछे हटने वाला हूँ,

हर रंग में ढ़ल जाता हूँ, लोगों के ग़म में उनका साथी बन जाता हूँ,

यूँ ही थोड़ी कोई मुझ पर बैठ कर सोच में खो जाता है,

मेरा सहारा लेकर ना जाने कितने घण्टों की थकान मिटाता है.

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