सपना सहम गया है,
आरज़ू पर असर हुआ है,
ख्वाहिशें भी बैठी है दुबक के,
ज़रूरतों का ऊँचा शोर हुआ है,
काले बादल भी अब काली रात से ड़रने लगे है,
मुझे जागता देख मेरी फिक्र करने लगे है,
देख रहें है की मंज़िलों ने कैसे मेरी नींद को उड़ा दिया है,
वो कहते है सुबह से मुझ रात के साथ धोखा हुआ है,
सपना भी अब पास आने से घबरा गया है,
खुद के इस दफा भी पूरा ना होने से घबरा गया है,
भयभीत है कि कहीं इस बार ऐ असफलता मुझे तोड़ ना दें,
मेरी कोशिशों की नाकामी से वो भी सहम गया है.
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