कोई मेहनत से कहानी लिख रहा है,
कोई किस्मत पर उबल रहा है,
जतन कर - कर के थक गया मुसाफिर,
रास्ता है जो मंज़िल को और दूर ले जा रहा है.........................................
हर बार की असफलता से नाराज़ है,
फिर भी उम्मीदों से जुड़ी आस है,
एक कोशिश और बोल कर हर बार खुद को आज़मा रहा है,
थका हुआ इंसान सपने को जगा रहा है.......................................
चहल कदमी तो करता है फिर लौट कर आ जाता है,
गुस्से से लात मार कर गई चाज़ों को सहलाता है,
उसी जगह रख देता है जहां वो पहले थी,
वो खुद की जगह भी कहां बदल पाता है..........................................
लिख रहा है अपनी कहानी सपने अपने,
हार कर भी हर प्रयास पर खुद की छाप छोड़े,
सफल होता है तो उसे खुद पर यकीन नहीं होता,
इतनी उठापटक के बाद मिली कामयाबी पर यकीन नहीं होता...........................................
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