पल दो पल.................

समय तय है हर चीज़ का, वहम ना पाले कोई अमर होने का, खुद पर आ जाए तो वो क्या ना कर दें, इंसानों के अहम को हवा कर दें.

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rashi sharma
rashi sharma 01 Dec, 2022 | 0 mins read

पल दो पल रूकी फिर चली गई,

बड़ी जल्दी में थी ठहरी नहीं,

कैसे रोकते उसे जिसे कभी देखा ही नहीं,

वो खुशी थी जो कब आई और कब गई खबर ही नहीं,


पल दो पल का गुस्सा है फिर उड़ जाता है,

इंसान गुस्से से पहले वाला इंसान बन जाता है,

छुपता है सब से लेकिन माफी नहीं मांगता,

मजबूर है अहंकार के हाथों गलती तो मानता है,

मगर खुद के लिए सज़ा नहीं मांगता.


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rashi sharma

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