दगा ....................

दगा ..................

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rashi sharma
rashi sharma 02 Dec, 2023 | 1 min read

वो भूल गए हमको अब याद नहीं करते,

भूलने से पहले बात करते थे,

अब तो दीदार भी नहीं करते,

भौहें चढ़ा कर अक्सर नज़दीक से गुज़र जाते हैं,

खूशबू तो महसूस होती हैं अभी - भी,

मगर हाथों के लम्स महसूस नहीं होते .........................................


पहले छोड़ा घर फिर गली भी छोड़ दी,

शहर भी छोड़ दिया हमने उसने आफत ही कर दी,

मर्जानिया कहते - कहते हमें ही मार दिया,

सांस ले रहे है बस वरना कुछ भी कहाँ बचा ..............................................

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