शोर से मौन तक.....................

शोर से मौन तक.

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rashi sharma
rashi sharma 25 Nov, 2022 | 0 mins read

चुप कर दिया ज़ालिमो ने ऐ कह कर कि,

हमें बोलना नहीं आता, दिमाग तो है मगर इस्तेमाल करना नहीं आता,

हमें बदिमाग कहने वाले हमारी ना मान कर भी,

हमें इल्ज़ाम देते है, खुद की बात को बात,

और हमारी बात को शोर कहते है,


माना कि हम ज़हीन नहीं, मगर इतने भी कम नहीं,

समझते है हर अल्फाज़ के मायने, अब हम इतने भी मुर्ख नहीं,

अंतर पता है हमें शोर और आवाज़ का,

भूल चुके है वो मतलब बात और विवाद का,

हम कहते है खुद की आवाज़ बन कर,

वो राग अलापते है किसी और की बात का,


ना आवाज़ में वो बात रही, ना शोर की आदत रही,

मौन हो कर सुनते है समंदर की लहरो को,

उसकी आवाज़ में छुपे कुछ अक्षरों के,

वो कहती है मुझे कोई नहीं टोकता कि मेरी आवाज़ कैसी है,

तुम भी बन जाओ मेरी तरह आवाज़ तो दो मगर खुद सुनो नहीं.



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