उससे मुझे क्या मिला.....

This poetry shows how the invisible power help us in our problems, tensions and also increase our happiness with their blessings.

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rashi sharma
rashi sharma 10 Jul, 2022 | 0 mins read

बंद है ज़ुबान पर आँखें पूछती है,

क्या कर रहे हो आज कल यही पूछती है,

सवालों का दयरा इतना भी छोटा नहीं है,

सिर झुकाते हो कहां यह भी पूछती है,


उन्हें क्या पता मुझे उससे क्या मिलता है,

ज़मीर हल्का हो जाता है,

जब कभी ऐ अकड़ का पुतला उसकी दहलीज़ पर कदम रखता है,

जुदा हो जाती है मेरी शख्सियत मुझसे ही,

मैं वो नही जो पहले थी, हो जाती हूँ कुछ और ही,


वो इक्मिनान भी देता है, सुकून भी, वो खुशी भी देता है और अपना वक्त भी,

माना कि वो जवाब में कुछ नहीं कहता, मगर सुनता है मेरी अनकही बात भी,

ताने और शिकायत से उसका कोइ वास्ता नही, इंसानी गलती से भी वो अंजान नहीं,

मुस्कुराता है जैसे कोई बात में कोई बात नहीं, हम भी हंस लेते है उसके साथ,

जब वो परेशान नहीं तो मैं भी परेशान नहीं.




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