"धागे की कहानी उसकी ज़ुबानी"

मेरी खूबसूरती इसी में है कि हर कलाई में सजूं मैं, चोहे किसी भी रंग में या रूप में, सबमें ज़िन्दा रहूं मैं.

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rashi sharma
rashi sharma 11 Aug, 2022 | 1 min read

मैं धागा सबको जोड़े रखता हूँ, प्यार से, व्यवहार से सबको बाँधे रखता हूँ,

कोई मुझे अटूट कहता है तो, कोई मुझे कच्चा कहता है,

जुड़ता तो में दिल से हूँ जहाँ हर रिश्ता पक्का होता है,

मैं धागा पकड़ लेता हूँ अपनों को तो जाने नहीं देता,

उलझा लेता हूँ गांठ में, लेकिन आसानी से साथ नहीं छोड़ता,


मैं धागा अनेक नामों से जाना जाता हूँ, राखी, रक्षा का बंधन, डोरी इन सभी से पुकारा जाता हूँ,

मंदिर ने मुझे एक और नाम दे दिया, जब कलावा कह कर लोगो ने मुझे संबोधित किया,

रंगों से भी मेरी अच्छी साझेदारी है, देखों मेरे लिए बाज़ारों में कितनी मारा - मारी है,

अब तो नज़र से बचने के लिए मेरे कदमों पर बंधने की बारी है,

कईयों के शौक ने मुझे कलाई पर बंधने के लिए मजबूर कर दिया,

मैं आम सा दिखने वाला धागा अनगिनतों की नव्स टटोलने में माहिर हो गया,


मैं धागा वादे का गवाह बनता हूँ, सदा रक्षा करने का सबब बनता हूँ,

हर कोई मुझे लेकर गंभीर रहता है, मेरे टुटने पर इंसान को खुद के बिखरने का ड़र लगा रहता है,

बोल सकता तो कहता जिस विश्वास के साथ मुझे बांधते हो, उस पर कभी यकीन भी किया करों,

माना कि मैं रैशे से बना धागा कमज़ोर दिखाई देता हूँ,

लेकिन सच तो ऐ है कि मैं भी किसी की कलाई से छूट जाने के खौफ में जीता और मरता हूँ.

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