किरण...............

उसे पता है उसके महत्व का, तभी तो भाव खाता है, इंतज़ार करवाता दिनों दिन, फिर कहीं जा के अपनी झलक दिखाता है.

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rashi sharma
rashi sharma 11 Nov, 2022 | 0 mins read

जैसे चलाया उसने वैसे ही चलते चले गए,

ना सवाल किया ना शिकायत की,

हम उसकी लौ में गिरते चले गए,

उसने कब हमें मुँह के बल गिराया है,

नादान थे हम जो गिरते खुद से थे,

मगर इल्ज़ाम किरणों पर आया है,


ऐ वो दौर है जब हर कोई अंधेरे में रहना पसंद करता है,

मगर कभी ना कभी तो वो भी रोशनी के लिए तरसता है,

काले बादल को चीरती हुई जब धरती पर धूप गिरती है,

सच मानों देखने में और एहसास में ऐ मंज़र,

किसी करिश्में जैसी लगती है.

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rashi sharma

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