जितना जानोंगे उतना ही खोते जाओगे,
पूछोगे किसी और से तो बहक जाओगे,
जितने लोग उतनी बातें होगी,
इन सब में तुम किस को सही और किस को गलत ठहराओगे,
इतना पूछा कि पागल से हो गए,
सबकी सुन हम मदहोश से हो गए,
बिना नशे के नशा होने लगा जब देखा सोचना मुश्किल है यहां,
तभी तो सबने जज बनने का फैसला कर लिया,
छोड़ो दुनिया कि सुनना,
जब समस्या खुद कि है तो ज़िक्र किसी और से क्यों करना,
सलाह के नाम पर सब ताने देते है,
माफी मांगने के बाद भी सिर पर सवार रहते है,
हमने भी एक नया जुगाड़ बैठाया है,
भीड़ में जाए सब अब हमने खुद से मश्वरा लेने का मन बनाया है.
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