बहाव...................

मुझे फिक्र नहीं साथ चाहिए, मुझे समझने वाला दिल चाहिए, रख लो सारा वक्त तुम खुद के लिए, मुझे तुम्हारे वक्त में से अपना हिस्सा चाहिए.

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rashi sharma
rashi sharma 04 Nov, 2022 | 1 min read

मैं पानी मेरा काम ही है बहना,

चट्टानों से, गलियों से, नदी से होकर सागर में मिलना,

ना ठहरती हूँ ना रूकती हूँ,

बस कल - कल बहती रहती हूँ,


कभी किसी की प्यास बुझती तो कभी खेतों में पहुँचती हूँ,

ख्याल रखती हूँ अपनी धरती और अपने लोगों का मैं,

कभी - कभी तो पड़ोसी देश में भी जाती हूँ,

परवाह है मुझे दुनिया की,

ऐसे ही थोड़ी जीवनदायनी कहलाती हूँ,


मेरे बिना जी नहीं सकते ऐ सब जानते है,

फिर भी मुझे बचाने की खातिर कब सामने आते है,

गंगा में पाप धोने जाते है और वहां पर मुझे गंदा ही छोड़ आते है,

दिमाग में रखते है परवाह मेरी,

हक़िकत में कहाँ दर्शाते है,


कितनी दफा लहरों के सहारे मैनें कूड़ा बाहर निकाला है,

खुद की स्वच्छता का मैनें खुद ही बीड़ा उठाया है,

एक दिन सड़क पर निकल कर हाय तौबा मचाते हो,

फिर अगले ही दिन मुझे भूल घर लौट जाते हो,

ना आज़माओ मेरे सब्र को कहीं मैं तु्म्हें बहा ना ले जाऊँ,

अभी शांत हूँ मैं ड़रो उस दिन से जब मैं गुस्से से सैलाब ना बन जाऊँ.


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