पहली मुलाकात .....................

उससे मेरी और मेरी उससे पहली मुलाकात. वो एक शहर है जो ना जाने कितनों का है, मैं एक नया मुसाफिर हूँ उसका जो शायद अब मेरा भी घर है, वो रखेगा तो रह लेंगे नहीं तो कुछ यादें जोड़ वहाँ से भी चल देंगे.

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rashi sharma
rashi sharma 26 Jul, 2022 | 1 min read

पहले घबराए, लड़खड़ाए, ड़रे और संभले भी,

नए शहर में आए है थोड़ा तो एहसास हो उसे भी,

कोई उसके शहर को अपनाने आया है,

उसका बनने और उसको अपना बनाने आया है,


दोस्त ना सही क्लासमेट बन जाते है,

रोज़ाना बात ना सही,

हम हैलो-हाय वाले अजनबी बन जाते है,

माना कि तुम नए लोगों से बात करने में शर्मातें हो,

थोड़ा वक्त दो हमें हम नए से पुराने हो जाते है,


यहाँ के लोग भी अजीब है,

ज़ुबान दी है भगवान् ने फिर भी आँखों से बात करते है,

ड़राते भी है आँखें दिखा के और मुस्कुरा भी आँखों से देते है,

ना जाने बोलने पर कौन सा टैक्स लगता है,

जो खामोश रह कर उससे दुगना बचा लेते है,


मैं खुश हूँ कि,

इमारतों ने मेरा नमस्कार स्वीकार किया,

जब फोटो खीचीं मैनें उसकी तो उसने भी अपनी खूबसूरती से मेरे कैमरे का धन्यवाद किया,

उसे भी एहसास हुआ कि कोई उसे देखने आया है,

मेरा शहर भूल गया मुझे,

लेकिन कोई तो है जो गैर हो कर भी मेरा हाल पूछने आया है.

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