Rajeev Kumar
Rajeev Kumar 29 Mar, 2023
मन अम्बर पे मचा बबंडर
मन अम्बर पे मचा बबंडर किसकी स्मृति अकुलाई है बोझिल मन को बोझिल करती ये किसकी परछाई है। किसकी स्मृति का गुणगाण मन करता है तान कमान छवी किसकी है मानस पटल पे मन को नहीं है तनिक भी भान। मगर दर्शन की बाकी पिपासा है डससे मिलन की अभिलाषा है उसी से प्रकाशित जीवन की सभा है उसी से पुर्ण जीवन प्रत्याशा है। है कपोल कल्पित आदर्श वो मन को है भान कि निष्कर्ष वो जीवन की गतिशिलता में वृद्धि जीवन का है उत्कर्ष वो।

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by rajeevkumar

29 Mar, 2023

जीवन का है उत्कर्ष वो।

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