प्रीत की भाषा और मानसून

बारिश और कामवाली की हृदयस्पर्शी कहानी

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 15 Jul, 2020 | 1 min read
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"अरे! आज तुम इतनी लेट क्यों आईं? बर्तन जूठे पड़े हैं।"-गुँजन ने गुस्से से मालती से कहा।

"भाभी! वो बारिश हो रही है।इस इलाके में तो कम है।हमारी बस्ती में बहुत बारिश हो रही है।पानी भी घुटने तक भरा है।"-मालती ने अपने टूटे छाते को बंद करते हुए कहा।

"बारिश के मौसम में बारिश नहीं होगी क्या? यह कौन सी नई बात है।काम भी तो समय से होना चाहिए।"- गुँजन ने ताव में कहा।

"भाभी सिर्फ़ एक घंटा लेट हुई हूँ।सब काम करके ही जाऊँगी।आप चिंता मत करो।" -मालती ने अपनी गीली साड़ी झाड़ते हुए कहा।

गुँजन मन ही मन बड़बड़ाती हुई बोली, आज तो नींद ही खराब कर दी।पैसा तो अच्छा-खासा चाहिए। बस काम न करना पड़े । ऊपर से बहसबाजी और।

मालती गुँजन का सभी काम करके अपने घर को आ गई।

अगले दिन....

"आज फिर नहीं आई मालती।सब बर्तन जूठे पड़े हैं।कौन धोएगा। ये कामवालियां ऐसी ही होती हैं।चार पैसा क्या देखे।रंग-ढंग ही बदल जाता है इनका।ऑफिस मेंं नौकरी करती तो न जाने क्या होता इनका।"- गुँजन ने गुस्से से अपने पति को फोन पर बताया।

"अरे गुँजन, इंतजार करो। आ जायेगी।एक तो बारिश ऊपर से जाम,कहीं फँस गई होगी।एक घंटा और इंतजार करो।"-गुँजन के पति अर्पित ने समझाते हुए कहा।

"ठीक है।नहीं तो कल दूसरी रख लूँगी।"-गुँजन ने प्रति उत्तर देते हुए कहा।

"अच्छा,अयांश बेटा घर आ गया।आज उसकी एक्टिविटी क्लास थी न।"-अर्पित ने चिंता से पूछा।

"तुम भी न! अरे आ जायेगा। बारिश हो रही है। आधा-पौना घंटा इधर-उधर हो ही जाता है।"-गुँजन ने समझाते हुए कहा।

तभी दरवाजे की घंटी बजती है।गुँजन फोन रखकर दरवाजा खोलती है तो सामने अपने बेटे को पट्टी बंधी देखकर घबरा जाती है।साथ ही देखती है मालती उसके बेटे का हाथ पकड़े खड़ी है।

यह देखकर गुँजन गुस्से से अपने बेटे का हाथ मालती के हाथ से छुड़ाते हुए अपने गले लगा लेती है। गुँजन तल्ख लहजे से मालती से पूछती है -"अयांश,तुम्हारे साथ कैसे और इसके माथे पर यह चोट कैसे लगी?"

मालती के कुछ बोलने से पहले ही अयांश कहता है-"मम्मा! आते वक्त मेरी वैन का ऐक्सिडेंट हो गया था।मालती आंटी ने मुझे घायल देख लिया था,वह फटाफक मुझे डॉक्टर के पास ले गईंं और मुझे पट्टी करवाई।अगर आंटी आज वहां न होती तो मैं सड़क पर वहीं घायल पड़ा होता।"

अपने बेटे के मुँँह से ये सब सुनकर गुँजन निरुत्तर हो गई और मालती से अपने किए क्षमा माँगने लगी।

धन्यवाद






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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

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