आज नेहा को मन अच्छो हो।वा चहकती भई अपने पति रविश के माऊँ गई और रविश से लिपटी भई बोली-"सुनौ, आज मोए नौकरी मिल गई।जे देखो लेटर आयो है।"
जे देख के रविश खूब खुश भयो।वह भी झूम उठो।रविश नेहा कूँ खूब बधाई देतो भयो बोलो-"मोए पतो ई तोए एक दिना पक्को नौकरी मिलैगी।ठाकुर ने सुन लई।"
कछु दिना बाद रविश चिड़चिड़ो रहवे लगो।वह नेहा कूँ बात-बात पे तानों देतो।नेहाउ रविश के जा बदले भये व्योहार ते हैरान ई।वह सोचो करती कि ऐसो का भयो जो इत्तो प्यार करवे वारो बाको पति अब सीधो मुँह बाते बात न करवो चाहे है।
रविश एक छोटी-मोटी नौकरी करतो हो।रविश की तनख्वाह नेहा से आधी ही।नेहा को कछु समझ में न आ रहो थो कि कौन सी गलती पे रविश बाते नाराज रहबे है।
एक दिना नेहा रविश ते बोरी-"रविश जे आलूए काट दियो तब तक मैं आटो गूँथ लेऊँ।"जे सुनकर रविश फटतो भयो बोलो-"मोए का अपनो नौकर समझ रखो है का?जो आलू काट दियो,जा कर दियो वा कर दियो।पतो है तोरी तन्ख्वाह मोते दुगुनी है पर जाको जे मतलब नाये है कि मैं तेरो नौकर बन गयो।"
जे कहतो भयो रविश पावन ने पटकते भयो बाहर चलो गयो।नेहा अब सब कछु समझ चुकीई।
अगले दिना नेहा काम पे न गयो देख रविश कछु हैरान भयो।ऐसो करते भये तीन दिना निकल गये तो रविश बोलो-"नेहा,तोए ऑफिस नाए जानो का?
नेहा सहझ हते भई बोली-"मोए न करनी नौकरी,छोड़ दई है।"
रविश हैरानी ते बोरो-"ऐसे काए कूँ छोड़ दई?"
नेहा शांत भाव ते बोरी-"जा नौकरी के कारण हम दोनन के बीच में झगड़ो हे रह्यौ थो। जा कारण छोड़़ दई।"
रविश को अब अपनी गलती पर पच्छतावा है रह्यो थो।वह बोरो-"नेहा मोए अपनी गलती पे पछतावो है।तू फिर ते जॉब कर मोए। तोए मोते कोए नाराजगी न हैगी।जे मेरो वादो है।"
नेहा अपनी पति रविश के बदले भये स्वभाव ते बड़ी खुश ही।वह झट से रविश के गले लग गई।
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