इन अश्कों की भी अपनी कहानी है।
समझो न सिर्फ़ इसे बहता पानी है।।
अनगिनत भाव दुख दर्द ये समेटे है।
बीती यादें खुशियाँ भी संग लपेटे हैं।।
हँसते-हँसते बेहिसाब याद आते हैं।
रोते-रोते सारे दुख दर्द बह जाते हैं।।
इन अश्कों न रूप,न रंग,न जात है।
यह तो दिलोंजान से जुड़ी बात है।।
कमजोर नहीं ये मजबूत निशानी है।
इन अश्कों की अपनी ही जुबानी है।।
-राधा गुप्ता वृन्दावनी
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