रिचा और रितेश दोनों कार से उतरे और एक-दूसरे के हाथों में हाथ डालकर भविष्य के सुनहरे सपने बुनते हुए बातचीत करते हुए चले जा रहे थे। अचानक हल्की-हल्की बारिश होने लगी।उस खुशनुमा मौसम ने उनके प्यार को चार चाँद लगा दिया।तभी सामने भुट्टा वाला दिखा जो गरमागरम भुट्टा सेंक रहा था।
भुने भुट्टे की खुशबू नाक में पड़ते ही रितेश,रिचा से बोला-"हे डम्मो,भुट्टे खायेगी।"रिचा बनाबटी गुस्सा दिखाती हुई बोली-"फिर डम्मो कहा,हाँ रे,बारिश हो और भुट्टे न खाये जायेंं ऐसा कैसे हो सकता है।"दोनों गरमागरम भुट्टे लेकर झील के किनारे आ गये और खाने में मस्त हो गए।
सोंधी-सोंधी मिट्टी की खुशबू हवाओं में घुल रही थी।झील में बोटिंग शुरू हो गई थी।लाइटिंग भी झिलमिलाने लगी थी जिसका प्रतिबिंब झील के पानी पर पड़ रहा था साथ में रितेश और रिचा की चुहलबाजी जारी थी।कुछ देर बाद दोनों की नजर आस-पास गई।बारिश मंदम हो चुकी थी।यकायक उनकी नजर एक वृद्ध जोड़े पर गई।वह वृद्ध जोड़ा एक-दूसरे को भुट्टे खिला रहा था।हालांकि समय के हिसाब से दोनों के दाँतों ने जबाव दे दिया था पर वह वृद्ध व्यक्ति भुट्टे का एक-एक दाना निकालकर अपनी वृद्ध पत्नी को देता जाता।थोड़ी देर में उन लोगों ने कुल्हड़ वाली चाय मंगवाई पर जैसे ही वृद्ध ने हाथ बढ़ाया वह चाय हाथ से छूट गई।कुछ चाय की बूँदें कपड़ों में छलक गई तो कुछ हाथ पर गिर गई।दूर से देख रहे रिचा और रितेश भागकर उनके पास।रितेश ने फटाफट अपनी जेब से रूमाल निकालकर उनका हाथ साफ करने लगा।रिचा ने वृद्धा से पूछा-"आपका हाथ तो नहीं जला ना?"वह वृद्धा बोली-"नहीं बेटी,मेरा नहीं जला,बच गया।"यह कहकर वह अपनी साड़ी के पल्लू से पंखा करने लगी।"
कुछ देर बाद रितेश बोला-"आप लोगों की जोड़ी बहुत प्यारी है।क्या हम आपके साथ एक फोटो ले सकते हैं।हम दोनों जल्द शादी करने वाले हैं।"उन वृद्ध दम्पति ने हामी भर दी।
फोटो लेने के बाद रितेश बोला-"आप अपने बारे में थोड़ा बताइए?"वह वृद्ध बोले-"मैं एयरफोर्स में था इसकारण मैं अपनी पत्नी को ज्यादा समय नहीं दे पाता था।जवानी के समय मैं अपने सर्विस में व्यस्त रहा और यह बच्चों को पालने में व्यस्त हो गई।जिन भाई-बहनों के लिए बाहर नौकरी में पड़ा रहा वे लोग अपने पैरों मेंं खड़े होते ही हमें भूल गये और हमारी पत्नी जिन बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग रही वह भी नौकरी लगते है विदेश के लिए उड़ान भर लिए।अब उम्र के इस पड़ाव में अपने पिछले गुजरे सड़सठ साल को अब दिल खोल के जी रहे हैं।"
रिचा बोली-"आप लोग सफल वैवाहिक जीवन का मूलमंत्र दीजिए।आपकी तरह हमारा जीवन भी सुखमय रहे।"वह वृद्ध बोले-"ज्यादा कुछ नहीं, बस विश्वास और प्यार।ये किसी भी रिश्ते के मूलमंत्र होते हैं।हम छोटी-छोटी चीजों में खुशियाँ ढूंढते हैं।एक दूसरे का संबल बनते हैं।एक दूसरे को पर्याप्त समय देते हैं।यही मूलमंत्र है।"यह कहकर दोनों दम्पति खड़े हो गए और चल दिए।
रितेश और रिचा उन्हें जाते हुए देख रहे थे और अपने बुढ़ापे की ऐसी ही कल्पना कर रहे थे।
स्वरचित व मौलिक
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