यह जो बूँद सी जिंदगी है अपनी,
इसका न कोई हिसाब-किताब है।
क्षणभंगुर हैं यह जीवन की रेखा,
खर्च हो रही बेलगाम-बेहिसाब है।।
स्वप्न अनगिनत पलते हैं जो रहते,
एकाएक सब यहीं टूटे रह जाते हैं।
धाराशायी हो जाती हैं जो तमन्नाऐं,
अपने भी सबका साथ छोड़ जाते हैं।।
प्यार पा लो हँस के जीवन जी लो,
यही इस बहुमूल्य जीवन का सार है।
अपना पराया करते-करते रह जाओगे
यही मानव-जीवन की बड़ी हार है।।
हँसलो हँसा-लो किसी के गम चुरा लो,
वरना कतरा-कतरा जिंदगी कट जायेगी।
हर छोटे-छोटे लम्हों को बेशुमार जी लो,
दो-बूँद जिंदगी वाष्प बन उड़ जायेगी।।
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