रामचरन अपनी पत्नी रीता ते-"अबकी चुनिया को ब्याह बड़े धूमधाम ते करेंगें। अच्छी पैदावार भई है जा बरस।"
रीता-"हाँ, सही कहे रहे हो। मंडी-समिति जाइकै खाना खा लियो। तुमारी साइकल पे रख दियो है।"
(मंडी-समिति)
रामचरन बिचौलिया ते-"साब, मोरे अनाजऊ की बोरी लगवाऐ दियो, पूरे बाइस कुंतल हैं।"
बिचौलिया-"तोरे अनाजन की क्वालिटी खराब है। सत्तर रुपया कम मा बिकेंगे। रामचरन असंमजस सो एक-तरफ खड़ो है गयो।
तबई जोरन ते बरसात हैवे लगी और अनाज भीगवे लगे।"
रामचरण बिचौलिया ते गिड़गिड़ाते भये - "साब, जल्दी करो अनाज भीग रहै हैंं।"
बिचौलिया- "सुन तेरे अनाज तो अब भीज गये और कोई इनने न लेबेगो। 100 रुपा कम में बिकवाए दूऊँ तो जल्दी बोल।"
रामचरण रोते भयै अपनी बरसात में भीगी रोटिन को देखवे लगौ और बोलो- ठीक है साब, 100 रुपा कममें बिकवाए देओ।"
जे है भारत के किसानन की वास्तविक स्थिति। जाई कारण सरकार नयो कमीशन(बिल) लावो चाहरही है।
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