अन्नदाता से छल

बृजभाषा में किसानों की वस्तुस्थिति बताती कहानी

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 02 Dec, 2020 | 1 min read

रामचरन अपनी पत्नी रीता ते-"अबकी चुनिया को ब्याह बड़े धूमधाम ते करेंगें। अच्छी पैदावार भई है जा बरस।"

रीता-"हाँ, सही कहे रहे हो। मंडी-समिति जाइकै खाना खा लियो। तुमारी साइकल पे रख दियो है।"

  (मंडी-समिति)

रामचरन बिचौलिया ते-"साब, मोरे अनाजऊ की बोरी लगवाऐ दियो, पूरे बाइस कुंतल हैं।"

बिचौलिया-"तोरे अनाजन की क्वालिटी खराब है। सत्तर रुपया कम मा बिकेंगे। रामचरन असंमजस सो एक-तरफ खड़ो है गयो।

तबई जोरन ते बरसात हैवे लगी और अनाज भीगवे लगे।"    

रामचरण बिचौलिया ते गिड़गिड़ाते भये - "साब, जल्दी करो अनाज भीग रहै हैंं।"

बिचौलिया- "सुन तेरे अनाज तो अब भीज गये और कोई इनने न लेबेगो। 100 रुपा कम में बिकवाए दूऊँ तो जल्दी बोल।" 

रामचरण रोते भयै अपनी बरसात में भीगी रोटिन को देखवे लगौ और बोलो- ठीक है साब, 100 रुपा कममें बिकवाए देओ।"     

जे है भारत के किसानन की वास्तविक स्थिति। जाई कारण सरकार नयो कमीशन(बिल) लावो चाहरही है।

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