मीडिया ने हमारे देश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। मीडिया ने हर क्षेत्र की दशा और दिशा बदलने में अपना भरपूर सहयोग दिया है। मीडिया के कारण ही देश-दुनिया की खबरें व घटनाएं पल भर में घर बैठे पा रहे हैं।चलो चलिए सबसे पहले समझते हैं मीडिया दरअसल है क्या?
*मीडिया का अर्थ-
मीडिया शब्द मीडियम से बना है जिसका मतलब होता था राजनीतिक,सामाजिक घटनाओं और जनता के बीच माध्यम या मध्यस्थ का कार्य करना। मीडिया देश विदेश में घट रही सूचनाओं को जनता तक पहुँचाने का कार्य करती है।
*मीडिया के प्रकार-
समय के साथ मीडिया के प्रारूप में काफी बदलाव आया है।
- प्रिंट मीडिया- अखबार, पत्रिकाएं
- ब्रॉडकास्ट मीडिया- दूरदर्शन,समाचार चैनल,रेडियो
- सोशियल मीडिया-फेसबुक,व्हाट्सएप,ट्विटर,यूट्यूब
*मीडिया के कार्य- अगर हम मीडिया की बात करें तो प्रिंट मीडिया ने संपूर्ण विश्व में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। अग्रेजों के विरुद्ध आजादी की लड़ाई में सामाचर पत्र व पत्रिकाओं ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कई देश भक्तों ने समाचार के माध्यम से देशवासियों के मन में आजादी के प्रति जागरूकता जगाई थी। सच्चे अर्थों में आजादी का शंखनाद इन समाचार पत्र व पत्रिकाओं के माध्यम से ही हुआ है।
आजादी के बाद रेडियो ने पदार्पण किया। जिसमें सिर्फ़ समाचार सुन सकते थे और थोड़ा बहुत मनोरंजन के लिए गीत-संगीत प्रसारित होता थासत्तर दशक के अंत और अस्सी दशक के शुरुआत में दूरदर्शन ने भारतीय जनजीवन में पदार्पण किया। यह एक जनचेतना का समय था। भारतीय राजनीति,सामाजिक,आर्थिक घटनाएं हमें घर बैठे दृश्य रूप में पूर्णतः सत्य मिल रही थीं। नब्बे के दशक आते आते प्राइवेटाइजेशन के कारण कई नये न्यूज़ चैनल् आये। इन चैनल्स की बाढ़ के कारण इनमें आपस में टक्कर की प्रतिस्पर्धा रहने लगी है। इस प्रतिस्पर्धा का मुख्य कारण है टीआरपी। टीआरपी के द्वारा ही इन चैनल्स की रैंक स्थिति तय होती है।अब इक्कीसवीं सदी तकनीकी सदी है। हम सभी के हाथों में एक मोबाइल रूपी उपकरण है जिसमें फेसबुक,ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम के माध्यम से विश्व भर की घटनाएं मिल जाती हैं यहाँ तक की हम अपने विचार को भी बेझिझक प्रस्तुत कर सकते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि मोबाइल ने एक नवीन संचार क्रांति ला दी है।
*क्या मीडिया की निष्पक्षता है? जैसे जैसे मीडिया का दायरा बढ़ा है वैसे-वैसे इनमें आपस में टक्कर की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है। प्रतिस्पर्धा का मुख्य कारण है टीआरपी। टीआरपी वह रेट स्केल है जिससे पता लगाया जाता है दर्शक कौन सा चैनल ज्यादा देखते हैं और वही चैनल नंबर वन कहलाता है और उसी चैनल में ज्यादातर एडवर्टिजमेंट आते हैं जिससे इन चैनल्स को इनकम होती है। सरल शब्दों में कहें तो पूरा खेल नंबर वन और पैसे का हैअपने को नंबर वन ओहदे में बने रहने के लिए ये मीडिया कुछ माननीय को बातौर चर्चा के अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित करती है पर यह चर्चा बहस का विकराल रूप धारण कर लेती है और अपने से मुद्दे से भटक जाते हैं। एक ही समाचार को 24 घंटे ब्रेकिंग न्यूज कहकर परोसते हैं। मीडिया का ध्यान देश की समस्याओं जैसे-गरीबी,बेरोजगारी से हटकर मसालेदार मुद्दे पर ज्यादा होता है। इसके साथ ही मीडिया किसी मसले को मसालेदार ,नमक मिर्च लगाकर परोसती है इसके साथ ही बेमतलब की खबर को भी बढ़ा चढ़ाकर जनता के समक्ष प्रस्तुत करती है।
वर्तमान समय में जो मीडिया बहुत विस्तृत है वह है सोशियल मीडिया। आज हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है। मोबाइल जितना अच्छा है उतना इसमें भ्रामक सामग्री भी परोसी जाती है। किसी भी बात को तोढ़-मरोड़कर देश दुनिया के किसी भी कोने मे फटाफट फॉरवर्ड कर दी जाती है जो दंगे और फसाद का विकराल रूप धारण कर लेती है।
सरकार को एक कड़ा कानून बनाना चाहिए तथा साथ ही इन कानून का कड़ाई से पालन होना चाहिए। मीडिया को एक दायरा बता देना चाहिए जिससे ये मीडिया उसका उल्लंघन न करे और उल्लंघन पर मीडिया को दंडित भी किया चाहिए। इसी तरह इंटरनेट के लिए साइबर क्राइम अपनी कड़ी नजर रखे और जो व्यक्ति भ्रामक,हिंसक,आपत्तिजनक पोस्ट करे उसके ऊपर तुरंत कार्यवाही हो जिससे और कोई फिर ऐसी करतूत न कर सके।
धन्यवाद।
राधा गुप्ता पटवारी 'वृन्दावनी'
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