मत बिगाड़ो हमको,हम तो जीवनदायक हैं,
ये धरती,वन,बाग-बगीचे सिर्फ़ खड़े हुए हैं तेरे लिए,
नहीं चाहिए तुमसे कुछ भी,बस नेह थोड़ा सा दिया करो,
हमको प्रदूषित करके तुम कैसे जी पाओगे,
हमसे ही है अस्तित्व तुम्हारा,हे मानव तुम यह ध्यान धरो,
यह अंबर,यह धरती-नदियां,यह मिट्टी यह सुंदर बगिया,
तेरे को ईश्वर से वरदान मिला,
सीमित हैंं हम तुम जैसे ही,बस न हमको बर्बाद करो,
मत फिक्र करो तुम प्रकृति की,पर अपने बारे में सोचो तो,
एक बार यह प्रकृति रूठी,फिर माने से न मानेगी,
अब देर नहीं हुई है मानव,उठो धरा को स्वच्छ करो।
तुमको मैं सब लौटा दूँगी,बस मेरा सम्मान करो।
धन्यवाद
राधा गुप्ता 'वृन्दावनी'
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Waah
धन्यवाद विनीता जी
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