साकारात्मक सोच

साकारात्मक सोच के फायदे

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 08 Jun, 2020 | 1 min read


(एक पत्र माँ द्वारा निराश बेटी को)

"बेटा, तुम कैसी हो? हमें पता है तुम बहुत उदास हो तुम दो बार असफल रही और यह तुम्हारा तीसरा प्रयास है।बेटा मैं माँ हूँ।शायद एक माँ जितना अपने बच्चे को समझती है उतना कोई और नहीं।बेटा,असफलता में सबसे पहले निराशा ही घेरती है।वह यह आजमाती है की अपने पथ पर बढ़ने वाला व्यक्ति कहीं कमजोर तो नहीं।कई बार कड़े इम्तिहानों से गुजरना पड़ता है।यह सफलता की राह थोड़ी टेढ़ी है।बेटा पिछले दो सालों में तो तुमने आधे से ज्यादा रास्ता तय कर लिया है।मंजिल कुछ ही दूर है।मंजिल में तुम्हें बहुत से साथी मिले होंगे जो आगे निकल गए होंगे तो कुछ तुमसे पीछे भी रह गए होंगे।

यह मंजिल तुम्हारी है सिर्फ़ तुम्हें ही तय करनी है।मेडिकल की पढ़ाई तो सिर्फ तुम्हारे जीवन का हिस्सा है,पूरा जीवन नहीं।ऐसे कितने ही इम्तिहान तुम्हें जीवन में आगे जाकर पार करने होंगे।इन इम्तिहानों से वही सफल होता है जो हिम्मत करके और अपनी कमियों को जानकर आगे बढ़ जाता है।बेटा,हर सफल व्यक्ति ने अपने जीवन में कई असफलता देखी होती है तब जाकर कहीं वह सफल बने।

आशा करती हूँ तुम्हें मेरी बातोंं का अर्थ समझ आ रहा होगा।पीछे का सब भूल आगे का देखो और दुगुनी मेहनत लगा दो।अपना ध्यान रखना।बहुत सारा प्यार और आशीर्वाद।

तुम्हारी माँँ

धन्यवाद 

राधा गुप्ता वृन्दावनी



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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

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