दहेज को इंतजाम

ब्रज भाषा में कहानी

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 08 Jul, 2020 | 1 min read

"समधीजी ते का कहेंगे कि हम दहेज कौ इंतजाम न कर सके। दस दिना के भीतर बबिता को ब्याह है।कैसे इत्ती जल्दी पैसन को इंतजाम हेगो।जई सोच सोच के जी घबड़ारो है।"-सविता ने अपने पति रामकिशोर ते कही।

"मैंने बहुत कोशिश करी पर नाय कर पायो इंतजाम।समधी जी को तो बतानौ ही पड़ेगौ।आखिरकार हमारे हैवे वारे रिश्तेदार हैं।हमारी परेशान जरूर समझैंगे।"-रामकिशोर ने अपनी पत्नी को समझाते भये कही।

अगले दिना दोनों पति-पत्नी संकोच करते भयै अपने समधी के घर कूँ गये।समधी जी ने अचानक उन दोनन को आयो देखके अचंभित हैके सब खैरियत पूछी।

रामकिशोर जी हाथ जोड़के रो पड़ै और रोते भये बोले-"समधीजी हमें माफ करो।हम पैसन को इंतजाम समय ते न कर पाये।अब पूरो निर्णय आप कै हाथन में सौंप दियो है।आप चाहें तो रिश्ता बढ़ाओ ना चाहोंं तो.....।"

समधीजी ने रामकिशोर जी के हाथ पकड़ते भयै कही-"समधीजी उठिए और इत कूँ बैठो।जे बताओ कि तुम्हारी बेटी अब हमारी बेटी भई तो हम आपते कैसे दहेज लै सके हैं।आप स्वयं ही अपनी छोरी हमकूँ दे रहे हो तो जासै बढ़कर और का दहेज है सके है।"

जे सुनकर रामकिशोर के चेहरे पर सुकून के भाव उमड़ पड़े।

धन्यवाद

राधा गुप्ता पटवारी
















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