स्पर्श की भी होती है अपनी अनछुई सी भाषा।
अलग-अलग तरह से गढ़ती है इसकी परिभाषा।।
प्रेमपूर्ण थपकी माँ की देती है सुकून भरी दिलासा।
प्रथम स्पर्श पिता का देता है अनंत भरी अभिलाषा।।
भाई-बहन का प्यार भरा स्पर्श पूर्ण करता जिज्ञासा।
दोस्त के कंधे पर रखा सर देता है सच्ची दिलासा।।
आलिंगन पति-प्रेमी का तन की पूर्ण करता पिपासा।
वहीं राह अजनबी टकराऐ तो सीने में गढ़ता शूलासा।
बच्चियों का अपने सगे ही करते है तन छलनी सा।
शोषण कर बच्चियों का दुखाते हैं मन कोमल सा।।
अच्छे- बुरे स्पर्श की पहचान करानी है जरा सा।
नहीं डरना न झुकना है चाहैं यह स्वप्न हो बुरा सा।।
धन्यवाद
राधा गुप्ता 'वृन्दावनी'
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