आज की बेमतलब इस दुनिया कुछ न कुछ अधूरा रह जाता है।किसी का अगर- मगर तो किसी का प्यार अधूरा रह जाता है।।
कहीं शर्त ही तोड़ दी जाती है तो कहीं अकेले ही रह जाते हैं।कहीं भूख-प्यास अधूरी तो कहीं शब्द के अर्थ ही नहीं मिल पाते हैं।।
कभी नींद ही कच्ची तो कभी ख्बाब ही आधे अधूरे टूट जाते हैं।कभी कुछ बनने का सपना तो कहीं संग-साथी ही रूठ जाते हैं।।
कोई जिंदगी की लड़ाई से जंग लड़ते लड़ते हिम्मत तोड़ देता।किसी की किस्त तो किसी का कोई मान-मनोबल तोड़ देता है।
कभी सावन बिन बारिश तो कभी चेहरे का रंग फीका पड़ जाता है।कहीं कोई विश्वास को तोड़ता तो कहीं चाँद ही अधूरा नजर आता है।
कहीं नियम तोड़ता जमाना तो कहीं शादी की रीत ही टूट जाती है।कहीं किस्से कहानी तो कभी बातें ही आधी-अधूरी रह जाती हैं।
धन्यवाद
राधा गुप्ता पटवारी
स्वरचित,मौलिक व अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बेहतरीन प्रस्तुति
धन्यवाद
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