"प्रिय भावना,
कैसी है? मोकूँ पतो है तू मोते नाराज है।तू मोरी मजबूरी समझ।मैं जा वक्त कछु न कर सको हूँ।तू मोते बोलती काय-खुश रहे।अब तुम बताओ,मैं कैसे खुश रेह सको हूँ।"-मैसेज में राहुल ने टाइप कियो।
भावना और राहुल में झगड़ो है गयो थो।झगड़ो इतनो है गयो थो कि राहुल दो दिना के लिए अपने दोस्त के यहां रुक गयो पर वहां रहते भये वाकूँ महसूस भयो कि वो गलत है। जा तरीका ते घर से झगड़ो करके आनो ठीक न होवे।जब दूसरी तरफ ते जबाव न मिलो तो राहुल को अब बैचेनी हैवे लगी।उसने दुबारा मैसेज भेजो-
"मोरी गलती रही ही कि मैं तोरी मन की बात कूँ न समझ सको पर मैं भी का करतो।आदमी जो ठहरो,झुक न सकू हूँ जेई बचपन ते सुनतो भयो बढ़ो भयो हूँ।आज जे साबित है भी गयो है।घर छोड़के सबसे पहले मैं ही आयो हूँ तू नहीं।"अबकी बार भावना ने मैसज पढ़ लियो थो।उसने उत्तर देते भई कही-"हम दोनों ब्याह रूपी गाड़ी के पहिया हैं।किसी एक के बिना गाड़ी न चल सके।तुम मोकूँ हमेशा ते गलत समझते आये हो।मेरो तुम ते कोई प्रतियोगिता न है।अगर रिश्तन में प्यार न है तो साथ रहवो बेकार है।"
"ऐसो मत कहो भावना,मैं तेरे बिना न रह सकू हूँ।मोए माफ कर दे।फिर कभी दोबारा ऐसो न हेगो।मैं घर आ रह्यो हूँ।आई लव यू।"-इत्तो लिखते ही राहुल अपने घर की तरफ निकल लियो।
धन्यवाद
राधा गुप्ता पटवारी
।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.