हम सब मानव में एक ऐसी प्रवत्ति पायी जावे है जामे हम सिर्फ़ अपने जीवन में भई दुर्घटनान को याद करे हैं।का खोयो है उनको याद करिके रोवे हैं।हम भूतकाल में इतनै डूबे हैं कि जेऊ याद नाए है कि जा वजह ते हमारो वर्तमानऊ नष्ट है जाए रहयो है।
पाछे की बातन कौ भूल के हम सबन कूँ निरन्तर आगे की ओर बढ़बे के बारे में सोचनो चाहिए।अगर हम पाछे ही की बातन कूँ ही सोचते रहै तो हम कबहूँ आवे वारे कल के लिए अच्छो न कर सकेंगे।
हम सबन कूँ ईश्वर ने इत्तो दियो है, हमें ईश्वर को धन्यवाद देनो चाहिए।जीवन मेंं अगर कछु कमी है तो बाको जिम्मेवार ई्श्वर नाए है,बाके जिम्मेवार हम स्वयं हैं।हम हमेशा कमियन के जिम्मेवार ठाकुर को माने हैं तो क्या कभी ईश्वर ने अब तक जो दियो है बाको कभी धन्यवाद कियो है? नाए।ईश्वर सत्ता सब कछु जो जा धरा में व्याप्त है असंभव कूँ संभव कर सकै है।हमेशा ना होवे को रोनो छोड़ जो दियो है बाकूँ धन्यवाद करौ और निरंतर अपनौ कर्म करते रहौ।
धन्यवाद
स्वरचित, मौलिक व अप्रकाशित
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