अगर मैं एक डॉक्टर होती तो,,
मासूम, लाचारों,बेबस,बेसहारों की हमदर्द बनती।
रोते हुए चेहरों की मुस्कुराहट खिलखिलाहट बनती।
बस्ती,गाँवों में एक छोटा ही सही अस्पताल खुलवाती।
इलाज की सभी चिकित्सिय सुविधाएं मुहैया करवाती।
उन्हें बीमारियों को छोटा न समझने की सलाह देती।
अस्पतालों मेंं उनको समय समय पर बुलवाया करती।
निरीक्षण परीक्षण के विषय में सत्य सलाहकार बनती।
डॉक्टर कम किसी की बहन-बेटी ज्यादा कहलाती।।
माना धन-दौलत औरों से कुछ कम ही कमा पाती।
पर आशीष,दुआ,विश्वास,प्यार,नाम भरपूर कमाती।
बड़ोंं व बच्चों को पढ़ाई लिखाई का महत्व सिखाती।
नीट एमबीबीएस में आगे बढ़ने की सही राह दिखाती।।
न्याय, दया,करूणा,परसेवा,समर्पण की भावना भरती।
रोते आते लोगों को हँसते स्वस्थ उनके घर भिजवाती।
हँसता,स्वस्थ,निरोगी वातावरण का निर्माण करवाती।
दिन हो या हो रात मैं अपना फर्ज़ बखूबी निभाती।।
स्वरचित व मौलिक
✍️राधा गुप्ता पटवारी
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
संदेशप्रद
Very nice
Please Login or Create a free account to comment.